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जय श्रीराम... जोर से बोलें भी और उनके रास्ते पर चलें भीः मोहन भागवत

गौरवमयी विरासत के बावजूद आजादी के बाद 75 सालों में जितना हमको आगे बढ़ना चाहिए था, उतना नहीं बढ़ पाए.

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Nihar Saxena
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Mohan Bhagwat

संत ईश्वर सम्मान 2021 में मोहन भागवत ने युवाओं को दिया मंत्र.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का कहना है कि बीते 75 वर्षों में​ भारत देश को जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना आगे नहीं बढ़े. देश को आगे ले जाने के रास्ते पर चलेंगे तो आगे बढ़ेंगे. हम उस रास्ते पर नहीं चले इसलिए आगे नहीं बढ़े. संघ प्रमुख मोहन भागवत यहां संत ईश्वर सम्मान 2021 कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्‍होंने यह भी कहा कि दुनिया के सारे देशों को मिलाकर अब तक जितने महापुरुष हुए, उतने हमारे देश में गत 200 वर्षों में हो गए. उन्‍होंने कहा कि अभी हम जय श्रीराम जोर से बोलते हैं, लेकिन श्रीराम (Shri Ram) जैसा होना भी चाहिए न. सच्चाई तो यह है कि हमें भगवान राम के दिखाए रास्‍ते पर चलने की भी जरूरत है.

भारत देश ने दुनिया से कहीं ज्यादा महापुरुष दिए
मोहन भागवत ने कहा कि अपने स्वार्थ छोड़कर लोगों की भलाई का काम हमेशा कठिन होता है. उस रास्‍ते को बताने वाले महापुरुषों की हमारे यहां गिनती नहीं है. सारे देशों में मिलाकर जितने महापुरुष इस बारे में बोले होंगे, उतने बीते 200 साल में हमारे यहां हो गए होंगे. इनमें से हर एक का जीवन सर्वांगीण जीवन की राह उजागर करता है. हालांकि जब राह उजागर होती है तो उसमें कांटे और कंकड़ भी दिखाई देते हैं, तो फिर हमारे जैसे लोग हिम्‍मत नहीं करते हैं. उनकी पूजा, जयंती, पुण्‍यतिथि और जय-जयकार करने लगते हैं.

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75 सालों में जितना बढ़ना चाहिए... उतना नहीं बढ़ सके
उन्होंने प्राचीन भारतीय संस्कृति को उजागर करते हुए कि भारत ने आदिकाल से पूरी दुनिया को सुसंस्कृत बनाने का काम किया. भारत की मंशा कभी किसी को जीतने की नहीं रही ना तो किसी को बदलने की रही. इस गौरवमयी विरासत के बावजूद आजादी के बाद 75 सालों में जितना हमको आगे बढ़ना चाहिए था, उतना नहीं बढ़ पाए. जिस दिशा में देश को आगे ले जाना चाहिए था हम उस दिशा में नहीं चले इसलिए नहीं बढ़ पाए, लेकिन जब हम सहोदर भाव के साथ काम करेंगे तब देश का पूरा विकास हो जाएगा. उन्होंने कहा कि देश की 130 करोड़ जनता अगर बंधुत्व की भावना के साथ सेवा कार्य में जुट जाए तो देश की तेज प्रगति का रास्ता खुल जाएगा. जो काम पिछले 75 वर्षों में नहीं हो सका वह 10-15 वर्षों में ही हो जाएगा. 

श्रीराम नाम का उद्घोष कर उनके रास्ते भी चलें
सेवा कार्य के लिए लोगों का आह्वान करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि आप इसे अपने आसपास से शुरू करें. इसी क्रम में भागवत बोले, 'जैसे अभी हम जय श्रीराम कहते हैं बड़े जोर से. कहना भी चाहिए. कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन श्रीराम जैसा होना भी चाहिए न. हम सोचते हैं वो तो भगवान थे. भरत की तरह भाई को प्रेम करने वाला भाई भी होना चाहिए, लेकिन हम ऐसा नहीं करते हैं.'

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परिवार ठीक रहा तो पीढ़ी कभी भटक नहीं सकती
सरसंघचालक ने बुजुर्गों द्वारा युवा पीढ़ी को लेकर जताई जा रहीं चिंताओं को सामने रखते हुए कहा कि अगर हमने अपना परिवार ठीक से संभाल लिया, उन्हें अपने आचरण से ऐसा वातावरण दिया कि वे संस्कारी बनें तो देश की कोई भी पीढ़ी कभी भटक नहीं सकती. वैसे आज की युवा पीढ़ी काफी समझदार है. वह अभावों में ही अपना रास्ता ढूंढ लेती है. धर्म पर बोलते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि लोग धर्म को पूजा की दृष्टि से देखते हैं, जबकि धर्म, मानव धर्म है और इसी तरह का हिंदू धर्म हिंदुस्तान से निकला है, उन्होंने सेवा के लिए टिकट और पद पाने की सिफारिश लेकर आने वाले व्यक्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि मजबूरी में किया गया कार्य सेवा कार्य नहीं हो सकता है.

HIGHLIGHTS

  • हमें भगवान राम के दिखाए रास्‍ते पर चलने की भी जरूरत
  • परिवार संभाल लिया तो कोई भी पीढ़ी कभी नहीं भटकेगी
  • आजादी के बाद 75 सालों में बहुत आगे नहीं बढ़ सका भारत
INDIA भारत shri ram Mohan Bhagwat मोहन भागवत जय श्रीराम development family विकास परिवार
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