राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के तीन दिवसीय व्याख्यानमाला का आज दूसरा दिन है। 'भारत का भविष्य : आरएसएस का दृष्टिकोण' कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार में हस्तक्षेप को लेकर कहा कि उनको (बीजेपी सरकार) को सलाह चाहिए तो वो पूछते हैं, अगर हम दे सकते हैं तो हम देते हैं। लेकिन उनकी राजनीति पर हमारा कोई प्रभाव नहीं है। भागवत ने बीजेपी के कामों में और आरएसएस के कार्यप्रणाली को अलग बताया।
उन्होंने कहा कि ऐसी अवधारणा है कि आरएसएस एक खास पार्टी (बीजेपी) के लिए एक अहम भूमिका निभाती है क्योंकि पार्टी में संघ के कार्यकर्ताओं की ज्यादा उपस्थिति है लेकिन यह गलत है।
आरएसएस की व्याख्यानमाला के दौरान भागवत ने कहा, 'सरकार की नीतियों पर हमारा कोई प्रभाव नहीं है। वो अपने कार्यक्षेत्र में समर्थ हैं। आरएसएस अपने आपको राजनीति से दूर रखता है लेकिन राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर अपना नजरिया है।
मोहन भागवत ने कहा कि संघ अपने स्वयंसेवकों (कार्यकर्ताओं) को कभी किसी खास पार्टी के लिए काम करने के लिए नहीं कहता है लेकिन उन्हें सलाह देता है जो राष्ट्रीय हित के लिए काम करते हैं।
इससे पहले व्याख्यान के पहले दिन मोहन भागवत ने कहा था कि आरएसएस देश में एक 'ताकत' बनकर उभरा है और कई लोग इससे डर की वजह से इस पर निशाना साधते हैं।
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उन्होंने कहा था, 'जब आरएसएस की शक्ति बढ़ती है, तो इसके काम का स्वत: प्रचार होता है। जब इसका काम लोकप्रिय होता है, तब लोग इसके बारे में और जानना चाहते हैं। ऐसे में कुछ इसकी बढ़ती ताकत से डर जाते हैं और संघ पर निशाना साधते हैं जो कि स्वभाविक है।'
17-19 सितंबर तक तीन दिन चलने वाले संघ के इस कार्यक्रम में देश के कई प्रसिद्ध लोग भाग ले रहे हैं, इनमें धार्मिक नेता, फिल्म कलाकार, खेल हस्तियां, उद्योगपति व विभिन्न देशों के राजनयिक शामिल हैं। हालांकि विपक्षी नेताओं ने इसमें शामिल होने से इंकार किया था और कहा था कि ऐसा कोई निमंत्रण नहीं मिला है।
आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी और यह संगठन केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के विचारधारा का स्रोत माना जाता है। आरएसएस की तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला सोमवार से शुरू हुई है जिसके केंद्र में हिंदुत्व और भारत के भविष्य को रखा गया है।
Source : News Nation Bureau