सरकार एक ऐसे कानून का मसौदा तैयार कर रही है, जिससे एक से ज्यादा राज्यों में संचालित होने वाली चिट फंड कंपनियों की धोखाधड़ी पर नजर रखी जाएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को लोकसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि बैंक का कर्जा लेकर पैसा हड़पने वालों के खिलाफ आपराधिक और वसूली कार्रवाई शुरू की जाएगी।
जेटली ने कहा कि चिट फंड कंपनियों के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कानून है। उन्होंने कहा, 'हम वैसी चिट फंड कंपनियों के लिए एक केंद्रीय कानून का मसौदा तैयार कर रहे हैं, जो एक से ज्यादा राज्यों में परिचालन कर रही है। मसौदे को चर्चा के लिए जल्द ही सदन में रखा जाएगा।'
बैंकिंग विनियमन विधेयक (संशोधन) 2017 पर चल रही चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए चलाई जा रही पेंशन योजना, लोगों को अपनी बचत को चिटफंड कंपनियों में लगाने से रोकेगी क्योंकि इस योजना के अंतर्गत 8 फीसदी का ब्याज दिया जा रहा है।
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कई राज्यों में चिटफंड कंपनियों ने लोगों के हजारों करोड़ रुपये का गबन किया है। जेटली ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पंजाब का हवाला देते हुए कहा कि इन राज्यों के पास चिट फंड कंपनियों को विनियमित करने का अपना-अपना कानून है।
इससे पहले सांसद पप्पू यादव समेत कई सांसदों ने चिट फंड कंपनियों की गतिविधियों की जांच के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की थी। वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक 2017 को पारित कर दिया।
इसके तहत केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को किसी भी बैंकिंग कंपनी को अपने फंसे हुए कर्ज की वसूली के लिए दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने का अधिकार दिया है।
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जेटली ने विधेयक के बारे में बताते हुए कहा कि इसके तहत कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनियां समानता का दावा नहीं कर सकती कि अन्य कंपनियों को छूट क्यों दी गई और उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों शुरू की गई।
उन्होंने कहा कि यह तर्क नहीं दिया जा सकता। प्रणाली को यह अधिकार होगा कि वह कुछ चुनिंदा मामलों में कार्रवाई करे। मैं आश्वस्त हूं कि वे इसके तहत ज्यादा से ज्यादा मामलों को हल करेंगे। उन्होंने बताया कि 11 गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) की पहचान की गई है, जिस पर राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) कार्रवाई करेगी।
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Source : IANS