Three Criminal Laws: एक जुलाई से तीनों नए आपराधिक कानून लागू होंगे. इसके बाद आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य संहिता ले लेंगे. कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने इसकी तैयारियां पूरी कर ली है. देश भर में 5.65 लाख से अधिक पुलिस, जेल, फोरेंसिक, न्यायिक अभियोजन अधिकारियों को आपराधिक कानूनों में प्रशिक्षित किया गया है. इसके अलावा, 40 लाख जमीनी स्तर के अधिकारियों को विभिन्न मंत्रालयों ने वेबिनार के माध्यम से कानूनों की जानकारी दी है. इन लोगों की जिम्मेदारी है कि भारत के सभी नागरिक को नए कानून की जानकारी दे सकें.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की समीक्षा और सहायता के लिए 36 सहायता दल और कॉल सेंटर बनाए हैं. तीनों नए कानूनोंं को लागू करने का मकसद साफ है कि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे नियमों-कायदों को हटाना और उनकी जगह नए कानूनों को लागू करना है.
तीनों नए कानूनों के लागू होने के बाद क्रिमिनल लॉ सिस्टम में बदलाव आ जाएगा. अब देशभर में कहीं भी एफआईआर दर्ज हो सकती है. अब पुलिस कुछ मामलों में आरोपी को हथकड़ी लगाकर भी गिरफ्तार कर सकती है.
जीरो एफआईआर में अब धाराएं भी जोड़ी जाएंगी
नए कानून लागू होने के बाद से एफआईआर देश भर में कहीं भी दर्ज हो सकती है. इसमें धाराएं भी जुड़ सकती हैं. अब तक जीरो एफआईआर में धाराएं नहीं जुड़ती थी. जीरो एफआईआर 15 दिन के अंदर एफआईआर संबंधित थाने को भेजनी होगी. कानून के चलते पुलिस की जवाबदेही भी बढ़ गई है. राज्य सरकार को अब हर पुलिस थाने में ऐसे पुलिस अफसर नियुक्त करने होंगे, जिनके ऊपर हर व्यक्ति के गिरफ्तारी की जिम्मेदारी होगी. पुलिस को अब 90 दिन के भीतर पीड़ित को प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी होगी. 90 दिन में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करनी होगी. 180 दिन यानी छह महीने में जांच पूरी करके ट्रायल शुरू करना होगा. अदालत को भी 60 दिन के भीतर आरोप तय करने होंगे. 30 दिन के अंदर सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाना होगा. फैसला सुनाने और सजा का ऐलान 7 दिन में करना होगा.
गिरफ्तारी के यह हैं नियम?
गिरफ्तारी के नियमों में अधिक बदलाव नहीं हुआ है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35 में एक नया सब सेक्शन 7 जोड़ा गया है. इसमें छोटे-मोटे आरोपियों और बुजुर्गों की गिरफ्तारी को लेकर नियम बनाए गए हैं. इसमें तीन साल और इससे कम सजा की प्रावधान है. मामले में गिरफ्तारी के लिए डीएसपी और इससे ऊपर के अधिकारियों की अनुमति आवश्यक है.
Source : News Nation Bureau