विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इराक में गायब हुए 39 भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि करते हुए राज्यसभा में बताया कि हरजीत मसीह ने इराक से भारत वापस आने के लिए बांग्लादेशियों की मदद ली।
सुषमा स्वराज ने हरजीत की कहानी पर बोलते हुए कहा यह कहानी जितनी सच्ची लगती है उतनी ही झूठी।
उन्होंने कहा कि इसके सच्ची लगने का कारण है हरजीत मसीह के फोन का इरबिल के नाके से आना और झूठी इसलिए लगती है क्योंकि जब मैंने पूछा कि आप वहां (इरबिल) कैसे पहुंचे? तो उसने कहा मुझे कुछ नहीं पता।'
सुषमा ने कहा, 'मैंने उनसे पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि आपको कुछ भी नहीं पता? तो उसने बस यह कहा कि मुझे कुछ नहीं पता, बस आप मुझे यहां से निकाल लो।'
यह भी पढ़ें: सुषमा स्वराज ने संसद में बताया, मारे गए इराक में लापता 39 भारतीय
सुषमा स्वराज ने बताया कि हरजीत मसीह ने अपना नाम बदलकर अली कर लिया था। हरजीत ने बांग्लादेशियों की मदद से इरबिल पहुंच कर सुषमा स्वराज को फोन किया।
गौरतलब है कि 2015 में इराक के मोसुल से अगवा किए गए 40 भारतीयों मे से सिर्फ हरजीत मसीह को ही भारत वापस आने में सफलता मिली।
मसीह ने भारत वापस आने के बाद बताया था कि आईएस के आतंकियों ने 50 बांग्लादेशियों और 40 भारतीयों को कंपनी की बस में भरकर पहाड़ी इलाके पर ले गए थे। जहां उन्होंने भारतीय बंधकों को किसी दूसरे ग्रुप के हवाले कर दिया।
मसीह के अनुसार आतंकियों ने भारतीय बंधकों को दो दिन तक अपने कब्जे में रखा। फिर सभी को कतार में खड़ा कर गोलियां बरसाईं।
मसीह ने बताया कि पैर में गोली लगने के कारण वह नीचे गिर गया और वहीं चुपचाप लेटा रहा। बाकी सभी लोग मारे गए।
यह भी पढ़ें: SC/ST एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
Source : News Nation Bureau