दुनिया में मां और बेटे-बेटी का रिश्ता सबसे अनमोल और अहम होता है. हर इंसान के लिए मां की ममता और प्यार बहुत जरूरी होती है. मां अपने बच्चों की जरूरतों को बिना किसी स्वार्थ के पूरा करती है. वैसे तो मां अपना पूरा जीवन अपने बच्चों पर कुर्बान कर देती हैं. मां बच्चे की खुशी में खुश और तकलीफों में दर्द बांटती हैं. मां की इसी ममता और प्यार को सम्मान देने को एक खास दिन होता है. इस दिन को ही मदर्स डे कहते हैं. भारत में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी मदर्स डे धूमधाम से मनाया जाता है. आइये हम आपको बताते हैं कि मदर्स डे के पीछे का क्या इतिहास है?
मदर्स डे कब मनाया जाता है?
दुनिया भर में मई महीने के दूसरे रविवार के दिन मदर्स डे मनाया जाता है. साल 2022 में मदर्स डे 8 मई को मनाया जा रहा है. औपचारिक तौर पर मदर्स डे को मनाने की शुरुआत 1914 में हुई थी.
सबसे पहले इसने मनाया मदर्स डे?
हालांकि, एना जार्विस नाम की एक अमेरिकी महिला ने मदर्स डे मनाने की शुरुआत की थी. एना अपनी मां को आदर्श मानती थीं और उनसे प्यार करती थीं. जब एना की मां का निधन हुआ तो उन्होंने कभी विवाह न करने का फैसला करते हुए अपनी मां के नाम अपना जीवन समर्पित कर दिया. उन्होंने अपनी मां को सम्मान देने को मदर्स डे मनाने की शुरुआत की. हालांकि, उन समय यूरोप में इस खास दिन को मदरिंग संडे कहा जाता था.
मई में रविवार को ही मदर्स डे क्यों मनाते हैं?
एना के इस कदम के बाद यूएस के तत्कालीन राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने औपचारिक तौर पर 9 मई 1914 में मदर्स डे मनाने की शुरुआत की. अमेरिकी संसद में इस खास दिन को कानून पास किया गया. इसके बाद मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाने लगा. इसके बाद यूएस समेत यूरोप, भारत और कई अन्य देशों ने भी मदर्स डे को मई के दूसरे रविवार के दिन मनाने की स्वीकृति दी.
हालांकि, ये भी कहा जाता है कि मदर्स डे का इतिहास ग्रीस से जुड़ा हुआ है, जिसे यूनान के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि उस समय ग्रीस देवताओं की मां को न सिर्फ सम्मान दिया जाता था, बल्कि उनकी पूजा भी की जाती थी. हालांकि इससे संबंधित ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है. मान्यताओं पर यह जानकारी आधारित है.
Source : News Nation Bureau