वंदे मातरम को लेकर एक बार फिर संसद गर्म है. कोई इसे इस्लाम के खिलाफ बता रहा है तो कोई कह रहा है इसकी मनाही नहीं है. 17वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन भी नव निर्वाचित सांसदों के शपथ लेने के दौरान हंगामा हो गया. हंगामे की वजह बना 'वंदे मातरम्'. लोकसभा में उत्तर प्रदेश से निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई जा रही थी. इस कड़ी में लोकसभा महासचिव ने संभल से चुने गए सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Barq) को शपथ दिलाई. उर्दू में शपथ लेने के बाद बर्क ने कहा कि भारत का संविधान जिंदाबाद लेकिन जहां तक वंदे मातरम का सवाल है यह इस्लाम के खिलाफ है और हम इसका पालन नहीं कर सकते. सांसद के यह कहते ही सदन में जोर-जोर से शेम-शेम के नारे गूंजने लगे.
#WATCH: Slogans of Vande Mataram raised in Lok Sabha after Samajwadi Party's MP Shafiqur Rahman Barq says, "Jahan tak Vande Mataram ka taaluq hai, it is against Islam we cannot follow it" after concluding his oath. pic.twitter.com/8Sugg8u8ah
— ANI (@ANI) June 18, 2019
इस मुद्दे पर एक और मुस्लिम सांसद फैज़ल का कहना है कि ऐसा इस्लाम मे कहीं नहीं है, वे खुद बचपन से वंदे मातरम बोलते रहे हैं, जिस क्षेत्र से आते हैं वह पूरी तरह मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और वंदे मातरम को लेकर न कोई सवाल रहा न फतवा। उन्होंने क्यों ऐसा बोला यह उनकी राजनीति है, इसका जवाब वे दे लेकिन इस्लाम मे ऐसा कही कुछ नहीं है.
वहीं वंदेमातरम न बोलने पर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से बीजेपी सांसद रवि किशन ने कहा की ये सारे लोग घबराए हुए है क्योंकि हमारे पीएम मोदी जी ने जबसे कहा की कहा की सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास तबसे इनको लग रहा है की आगे से सारे मुस्लिम बीजेपी को वोट करेंगे इसलिए घबराए हुए हैं.
#WATCH: Slogans of Bharat Mata ki Jai and Vande Mataram raised in the Lok Sabha as AIMIM MP from Hyderabad Asaduddin Owaisi comes to take his oath. He concluded his oath with "Jai Bhim! Takbir! Allahu Akbar! Jai Hind!" pic.twitter.com/TGt7bRfDfC
— ANI (@ANI) June 18, 2019
मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही उठा था मुद्दा
मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की कांग्रेस (Congress) सरकार की ओर से हर महीने की एक तारीख़ को राज्य मंत्रालय के समक्ष वंदेमातरम (Vande Mataram) गान की अनिवार्यता पर रोक लगाने के बाद खूब सियासत हुई थी. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा है था कि अगर कांग्रेस को राष्ट्र गीत के शब्द नहीं आते हैं या फिर राष्ट्र गीत के गायन में शर्म आती है, तो मुझे बता दें! हर महीने की पहली तारीख़ को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम् मैं गाऊंगा। इसके बाद कांग्रेस सरकार बैक फुट पर आई और उसे नया आदेश जारी करना पड़ा.
उलेमाओं ने किया था विरोध
इसी साल देवबंदी उलमा ने गणतंत्र दिवस के मौके पर वंदेमातरम और भारत माता की जय बोलने के लिए मना किया है। तर्क दिया कि यह इस्लाम के विरुद्ध है और इसको कहने से ही देशभक्ति साबित नहीं होगी। इसके स्थान पर हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लगा सकते हैं।
दो साल पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने ये कहा था
दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के बराबर मानने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी. ‘वंदे मातरम’ के रचनाकार बंकिम चंद्र चटर्जी हैं. कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने कहा कि हालांकि वह याचिकाकर्ता की राय से सहमत है, लेकिन वह मांगी गई राहत नहीं दे सकती. पीठ ने कहा, ‘यद्यपि हम याचिकाकर्ता से सहमत हैं कि ‘वंदे मातरम’ को प्रतिवादी को ‘जन गण मन’ के बराबर मान्यता देनी चाहिए, लेकिन हमारी राय है कि हम याचिका में मांगी गई राहत देने में सक्षम नहीं हैं.’
केंद्र सरकार ने किया था विरोध
केंद्र ने याचिका का यह कहते हुए विरोध किया था कि ‘वंदे मातरम’ का भारतीयों के मानस में ‘अनोखा और विशेष स्थान’ है, लेकिन इसे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित ‘जन गण मन’ के बराबर नहीं माना जा सकता.