अगर आप दिल्ली की सैर करना चाहते हैं और किसी खूबसूरत और सुकून से भरे जगह पर दिन बिताना चाह रहे हैं तो मुगल गार्डन आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है. राष्ट्रपति भवन स्थित प्रसिद्ध मुगल गार्डन बुधवार से आम पर्यटकों के लिए खोला जा रहा है. बसंत ऋतु में हर साल फरवरी से मार्च तक आम जनता के लिए खोले जाने वाला यह गार्डन अपने आप में अनोखा है. राष्ट्रपति भवन की एक पुरानी परंपरा है. इस बार यह गार्डन 70 किस्मों के खूबसूरत फूलों से गुलजार है. इसमें ज्यादातर फूल नीदरलैंड और जापान से आयात किए गए हैं. मुगल गार्डन अपने शांत वातावरण और हरियाली के लिए लोकप्रिय है. इस साल मुगल गार्डन में सफेद, पीले, लाल और नारंगी रंग के फूलों की थीम के साथ चमकीले रंगों वाले 10,000 ट्यूलिप, जिनके बीज नीदरलैंड से लाए गए थे और माथियोला इनसाना जो जापान से आयातित एक सुंदर सफेद रंग का फूल है, 137 प्रकार के गुलाब लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगे.
15 एकड़ में फैले इस गार्डन में तमाम खूबसूरत फूलों के साथ जड़ी बूटियां और औषधियां भी लगाई जाती है. इसमें ट्यूलिप, मोगरा-मोतिया, रजनीगंधा, बेला, रात की रानी, जूही, चम्पा-चमेली जैसे कई फूल शामिल हैं. फूलों के बाग के साथ इस गार्डन में अलग-अलग थीम के साथ कई और बगीचे भी बने हुए हैं.
इस साल से ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा
इस साल www.presidentofindia.gov.in पर मुफ्त ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा शुरू की गई है. इसके लिए हालांकि 7 दिन पहले बुकिंग करवानी होगी. इसे सोमवार से शुक्रवार के बीच 7 घंटे के स्लॉट (सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे) और शनिवार और रविवार के बीच 3 घंटे के स्लॉट (सुबह 9 बजे से 10 बजे और 11 बजे) में विभाजित किया गया है.
कार्यदिवस में एक बुकिंग में अधिकतम 10 लोग शामिल हो सकते हैं, जबकि सप्ताहांत और छुट्टियों के लिए यह संख्या 5 होगी। ऑनलाइन बुकिंग के लिए मोबाइल नंबर अनिवार्य है. ऑनलाइन बुकिंग करने वालों को अंदर जाने के लिए एक अलग पंक्ति मिलेगी.
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इस साल मुगल गार्डन 6 फरवरी से लेकर 10 मार्च तक खुला रहेगा, जिसमें सोमवार के दिन यह बंद रहेगा. गार्डन के खुले रहने का समय सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे का होगा.
क्या है मुगल गार्डन का इतिहास
फूलों के आकर्षण के लिए जाने जाना वाला राष्ट्रपति भवन और 15 एकड़ में फैला मुगल गार्डन का इतिहास काफी दिलचस्प है. 1911 में जब अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनाई तो रायसीना की पहाड़ी को काटकर वायसराय हाउस (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) का निर्माण कराया था. जिसे ब्रिटिश वास्तुकार एडवर्ड लुटियंस ने डिजाइन किया था.
वायसराय हाउस में वायसराय के लिए फूलों का खास बाग बनाया गया था लेकिन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की पत्नी लेडी हार्डिंग को यह बाग पसंद नहीं आया था. बाद में लुटियंस ने गार्डन में बदलाव करते हुए भारतीय संस्कृति और मुगलशैली की झलक पेश की थी. सन 1928 में यह मुगल गार्डन बनकर तैयार हुआ था.
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मुगल गार्डन चार भागों में बंटा हुआ है. अंग्रेजों के जमाने में यह गार्डन सिर्फ खास लोगों के लिए दर्शनीय था लेकिन साल 1950 में गणतंत्र बनने के बाद वायसराय हाउस का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन किया गया और मुगल गार्डन को भी आम लोगों के लिए खोला गया था.
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने आम लोगों के लिए इस गार्डन को खुलवाया था तब से आज तक हर साल बसंत ऋतु में इस गार्डन को आम लोगों के लिए खोला जाता है.
राष्ट्रपति कोविंद ने लगवाए रूद्राक्ष के पौधे
मुगल गार्डन में पिछले 30 सालों से मुगल गार्डन के प्रबंधक पी एन जोशी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया था, 'यहां लगे रुद्राक्ष के पौधों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लगवाए हैं. समूचे बगीचे की डिजाइनिंग की जिम्मेदारी निभाने वाले जोशी ने कहा, 'भवन का निर्माण लाल पत्थर से किया गया है। इसलिए हमने अधिकांश सफेद और पीले फूलों का चुनाव किया है, ताकि वे यहां की वास्तुकला से मेल खा सकें.'
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Source : News Nation Bureau