वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने देश का अगला अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है. रोहतगी को केके वेणुगोपाल की जगह भारत के चौदहवें अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त किया जाना था. लेकिन इससे पहले ही केंद्र के प्रस्ताव को उन्होंने अस्वीकार कर दिया है. जब उनसे इस फैसले के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कोई भी विशेष कारण नहीं बताया. यदि रोहतगी सरकार के इस प्रस्ताव स्वीकार को स्वीकार किया होता तो जून 2014 और जून 2017 के बीच पहली बार पद पर रहने के बाद एजी के रूप में यह उनका दूसरा कार्यकाल होता.
गौरतलब है कि इससे पहले वर्तमान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल भी इस पद पर बने रहने की अनिच्छा व्यक्त की थी. स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए सरकार से 30 सितंबर के बाद शीर्ष विधि अधिकारी का पद छोड़ने की बात कही थी. गौरतलब है कि वेणुगोपाल को 1 जुलाई, 2017 को तीन साल के कार्यकाल के लिए अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त किया गया था. इसके बाद तीन साल के कार्यकाल पूरा होने के बाद पहले दो साल फिर दो एक साल का विस्तार दिया गया था. इस दौरान उन्होंने ने बार-बार पद पर बने रहने की अनिच्छा व्यक्त की थी. इस साल जून में केंद्र ने वेणुगोपाल का कार्यकाल तीन महीने और बढ़ा दिया था. सरकार ने उनसे तीन महीने और काम करने का आग्रह किया था, जिसके बाद उन्होंने सरकार को एक नए चेहरे की तलाश करने के लिए कहते हुए 30 सितंबर तक तीन महीने के विस्तार के लिए सहमति व्यक्त की थी. गौरतलब है कि उनकी उम्र इस वक्त 91 वर्ष हो चुकी है.
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इसके बाद 67 वर्षीय रोहतगी को अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त करने की पेशकश की गई थी. रोहतगी ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के बाद 2014 से 2017 तक तीन साल तक एजी का पद संभाल चुके हैं. रोहतगी भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और इससे पहले भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य कर चुके हैं. लेकिन, इस बार उन्होंने सरकार का अनुरोध मानने से इनकार कर दिया है.
Source : News Nation Bureau