महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा है कि संजय दत्त को नियमों के तहत ही जेल से आठ महीने पहले रिहा किया गया है और किसी भी तरह की विशेष रियायत नहीं दी गई है। संजय दत्त 1993 में मुंबई में हुए बम धमाके के आरोप में जेल में बंद थे।
संजय दत्त को 5 साल के जेल की सज़ा मिली थी। उनपर गैर कानूनी तरीके से हथियार रखने का आरोप था। ये हथियार मुंबई धमाकों में इस्तेमाल किये गए हथियारों के कंसाइनमेंट का हिस्सा था।
दत्त को फरवरी 2016 को रिहा कर दिया गया था। जेल में अच्छे बरताव के कारण उनकी रिहाई सजा पूरी होने के आठ महीने पहले ही कर दी गई थी। वो पुणे के यरवदा जेल में बंद थे।
महाराष्ट्र सरकार ने जस्टिस आर एम सावंत और साधना जाधव की बेंच को जवाब दिया है। राज्य सरकार ने कहा है कि समय से पहले उनकी रिहाई जेल में उनके 'अच्छे व्यवहार, अनुशासन और तमाम कार्यों जैसे एजिकेशनल प्रोग्राम, फिजिकल ट्रेनिंग और अपने काम को पूरा करने' के कारण की गई।
पुणे के निवासी प्रदीप भालेकर की तरफ से संजय दत्त की रिहाई के खिलाफ दायर की गई याचिका के जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को अपना जवाब दिया।
भालेकर का आरोप था कि संजय दत्त को राज्य सरकार ने बेवजह ही वरीयता देते हुए रिहा किया है।
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रिपोर्ट में कहा गया है, 'महाराष्ट्र बंदी(रिहाई प्रणाली) नियम के तहत अच्छे व्यवहार के लिये हर महीने 3 दिन की छूट मिल सकती है। इसके मद्देनज़र दत्त को 256 दिनों की छूट मिली है जो 8 महीने 16 दिन होती है।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि दत्त ने अक्टूबर 2015 में जल्द रिहाई के लिये आवेदन दिया था जिसे माना नहीं गया था। लेकिन बाद में अच्छे व्यवहार के कारण उनके आवेदन पर विचार किया गया और उन्हें रिहा किया गया।
अब रिपोर्ट के आधार पर अदालत इस संबंध में आगे कि सुनवाई दो हफ्ते बाद करेगा।
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Source : News Nation Bureau