एक ईसाई परिवार को चमत्कार का इंतज़ार है। मुंबई में रहने वाले एक ईसाई परिवार ने बीते 8 दिनों से इस अपने 20 साल के बेटे का अंतिम संस्कार नहीं किया है। उन्हें उम्मीद है कि जीसस खुद उनके बच्चे को फिर से ज़िंदा करेंगे।
इस परिवार के खिलाफ अब अंधश्रद्धा का विरोध करने वाले लोगों ने आवाज़ उठानी शुरू कर दी है। मुंबई के नागपाड़ा इलाके में नेबरहुड नाम की ये सोसाइटी इन दिनों चर्चा में है।
इस सोसाइटी में प्रार्थनाओं का दौर चल रहा है। प्रार्थना 20 साल के मिशेक को फिर से जीवित करने के लिए हो रही है। मिशेक की मौत 8 दिनों पहले हो चुकी है, लेकिन उसके परिवार वालों ने उसका अंतिम संस्कार सिर्फ इसलिए नही किया क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि जीसस उसे फिर से जिंदा कर देंगे।
20 साल का मिशेक कैंसर से एक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद 28 अक्टूबर को चल बसा था। वह अस्पताल जिसमें मिशेक का इलाज चल रहा था उसने खुद मिशेक का डेथ सर्टिफिकेट तैयार किया और मिशेक के मृत शरीर को घर भेज दिया गया था।
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मिशेक के पिता खुद एक बिशप हैं, उन्होंने ठान लिया कि वो प्रार्थना से मिशेक को दोबारा एक ज़िन्दगी देंगे और प्रार्थनाओं का सिलसिला बीते 8 दिनों से चल रहा है।
कानून के मुताबिक़ किसी भी मृत शरीर को बिना वाजिब कारणों के ज़्यादा दिनों तक अंतिम संस्कार से नही रोका जा सकता, लेकिन इसे एक धार्मिक आस्था का मामला बताते हुए पुलिस ने मिशेक के परिवार से जुड़े इस मामले में ज़्यादा दखल नही दी है।
क्रिस्चियन समुदाय के जानकार कहते हैं कि अब के दौर में जीसस के पुनर्जन्म जैसे चमत्कार अब नही हो सकते और मिशेक के परिवार वालों को अब उसका अंतिम संस्कार कर देना चाहिए।
मिशेक के परिवार से जुड़ी इस ख़बर के बारे में अब अंधश्रद्धा का विरोध करने वाले लोगों ने आवाज़ उठानी शुरू कर दी है। अंधश्रद्धा निर्मूलन से जुड़े कई कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ लिखित शिकायत पुलिस में की है।
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Source : News Nation Bureau