भारत ने पाकिस्तान का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा है कि एक विशेष देश की ‘‘अनिच्छा’’ और ‘‘असहयोग’’ के कारण मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले और 2016 में पठानकोट हमले के पीड़ितों को न्याय मिलना अभी बाकी है. ‘आतंकवाद के पीड़ितों के मित्र समूह’ की मंत्रिस्तरीय डिजिटल बैठक में भारत ने आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए ठोस वैश्विक कार्रवाई के लिए मजबूत आधार बनाते हुए कहा कि कोरोना वायरस महामारी के बीच आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है.
सोमवार को हुई बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह ने अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में ‘‘कमियों को दूर’’ करने का भी आह्वान किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आतंकवाद के दोषियों को सजा मिल सके.
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सिंह ने कहा, ‘मैं इस बात पर प्रकाश डालना चाहूंगी, उदाहरण के लिए, 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले और 2016 के पठानकोट आतंकवादी हमले के पीड़ितों को न्याय मिलना बाकी है. यह केवल एक विशेष देश की अनिच्छा और असहयोगपूर्ण रवैये के कारण है.’
सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आतंकवादी गतिविधियां न केवल पीड़ितों के अधिकारों का उल्लंघन करती है बल्कि वे पीड़ितों और समाज की सुख शांति को भी प्रभावित करती है. उन्होंने कहा, ‘महामारी के बीच आतंकवाद अंतराराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ है.’
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सैन्य अधिकारियों के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के बावजूद पाकिस्तान ने पिछले कुछ महीनों में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों को भेजना बंद नहीं किया है. सिंह ने आतंकवादियों द्वारा अपने नापाक मंसूबों के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी नेटवर्क का इस्तेमाल बढ़ाने संबंधी खतरे के बारे में भी बात की.
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