जम्मू-कश्मीर (Jammu and kashmir) से आर्टिकल 370 (Article 370) हटाए जाने से बौखलाए पाकिस्तान (pakistan) ने दुनियाभर के देशों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन चीन को छोड़कर बाकि देशों का साथ नहीं मिला. अब मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान की मदद करने के बजाय नसीहत जरूर दी है. सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे प्रभावशाली मुस्लिम देशों ने एक ओर पाकिस्तान को भारत के साथ बैकडोर डिप्लॉमसी चैनल ऐक्टिवेट करने की राय दी तो दूसरी ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कहा कि वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए तल्ख भाषा के इस्तेमाल पर लगाम लगाएं.
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पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक 3 सितंबर को सऊदी अरब के विदेश मंत्री आदिल अल जुबैर और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन अल नाहयान इस्लामाबाद दौरे पर अपने नेतृत्व और कुछ अन्य शक्तिशाली देशों की ओर से संदेश लेकर आए थे. उन्होंने पाकिस्तान से कहा कि वह भारत के साथ अनौपचारिक बातचीत करे. एक दिवसीय यात्रा पर उन्होंने प्रधानमंत्री इमरान खान, विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बातचीत बेहद गोपनीय थी और विदेश मंत्रालय के केवल शीर्ष अधिकारियों को ही उन बैठकों में जाने दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब और यूएई के राजनयिकों ने यह इच्छा जताई है कि पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव कम करने के लिए वे भूमिका निभाना चाहते हैं. इनमें से एक प्रस्ताव दोनों देशों के बीच पर्दे के पीछे से बातचीत (बैकडोर डिप्लॉमसी) का भी था.
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मध्यस्थों ने पाकिस्तान से पेशकश की कि वो कश्मीर में कुछ पाबंदियों में ढील देने के लिए वह भारत को राजी करने की कोशिश कर सकते हैं, बशर्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले बंद किए जाएं. उन्होंने प्रधानमंत्री इमरान खान से कहा कि वो पीएम मोदी के खिलाफ जुबानी हमले कम करें.
हालांकि, पाकिस्तान ने उनके अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया और साफ किया कि वह भारत के साथ पारंपरिक कूटनीति तभी करेगा जब नई दिल्ली कुछ शर्तों पर राजी हो जाए. इन शर्तों में कश्मीर से कर्फ्यू तथा अन्य पाबंदियां हटाना शामिल हैं.
HIGHLIGHTS
- कश्मीर पर पाकिस्तान को मुस्लिम देशों से मिली नसीहत
- 3 सितंबर को सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री इस्लामाबाद गए थे
- पाकिस्तान से भारत के साथ बैकडोर डिप्लॉसी की सलाह दी