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मुसलमान विशेष वर्ग नहीं, सिफारिशों पर न हो अमल: सच्चर कमेटी के खिलाफ SC में याचिका

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें केंद्र को सच्चर समिति की रिपोर्ट पर आगे बढ़ने से रोकने का आग्रह किया गया है.

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Nihar Saxena
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अनुच्छेद 14 और 15 को बनाया गया आधार.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें केंद्र को सच्चर समिति की रिपोर्ट पर आगे बढ़ने से रोकने का आग्रह किया गया है. यह रिपोर्ट नवंबर 2006 में सौंपी गई थी. यूपीए (UPA) सरकार ने मार्च 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र सच्चर की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया था. समिति को देश में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार करनी थी. उत्तर प्रदेश के 5 लोगों की तरफ से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि 9 मार्च 2005 को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से समिति के गठन के लिए जारी अधिसूचना में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि यह मंत्रिमंडल के किसी निर्णय के बाद जारी की जा रही है.

अनुच्छेद 14 और 15 का हवाला
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, 'इस तरह, यह स्पष्ट है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति जानने के लिए खुद अपनी तरफ से ही निर्देश जारी किया, जबकि अनुच्छेद 14 और 15 में कहा गया है कि किसी धार्मिक समुदाय के साथ अलग से व्यवहार नहीं किया जा सकता.' याचिका में कहा गया है कि इस तरह के आयोग का गठन करने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत राष्ट्रपति के पास है. याचिका में दावा किया गया है कि समिति की नियुक्ति अनुच्छेद 77 का उल्लंघन थी और यह असंवैधानिक तथा अवैध है.

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केंद्र ने कर चुका है कल्याण योजनाओं का बचाव
याचिका में कहा गया है कि पूरे मुस्लिम समुदाय की पहचान सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में नहीं की गई है लिहाजा मुसलमानों को एक धार्मिक समुदाय के रूप में, पिछड़े वर्गों के लिए उपलब्ध लाभों के हकदार 'विशेष वर्ग' नहीं माना जा सकता. याचिका में आग्रह किया गया है कि केंद्र को मुस्लिम समुदाय के लिए कोई योजना शुरू करने के लिए रिपोर्ट का क्रियान्वयन करने से रोका जाए. ये याचिका ऐसे समय में दायर की गई है जब केंद्र ने विशेष रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए अनुसूचित जाति कल्याण योजनाओं में बचाव किया है, जिसमें कहा गया है कि ये योजनाएं हिंदुओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करती हैं और समानता के सिद्धांत के खिलाफ नहीं हैं.

HIGHLIGHTS

  • संविधान के मुताबिक किसी धार्मिक समुदाय से अलग व्यवहार नहीं
  • अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने इस आधार पर दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
  • केंद्र ने हाल ही में कहा कि योजनाएं हिंदुओं के अधिकारों का उल्लंघन नहीं
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