सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के 14 शेल्टर होम में बच्चों के साथ यौन शोषण के मामलों में कार्रवाई न होने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा-ये शर्मनाक है कि सरकार दोषियों को बचाने में लगी है. सरकार का रवैया बेहद अमानवीय है. क्या बच्चे देश का हिस्सा नही हैं? सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी इस बात को लेकर थी कि कुछ बच्चे इन शेल्टर होम में अप्राकृतिक यौनाचार के भी शिकार हुए लेकिन पुलिस ने धारा 377 के तहत मामला दर्ज़ न कर हल्की धाराओं में मामला दर्ज़ किया.
टाटा इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट का हवाला दिया
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट के कुछ अंश को पढ़ा. कोर्ट ने कहा कि शेल्टर होम में रहने वाले एक लड़के ने अपनी गाल पर टाटा इंस्टीट्यूट वालो को 3 इंच का लंबा घाव दिखाया, उसे चोट इसलिए पहुंचाई गई क्योंकि उसने खाना बनाने से इंकार कर दिया था. लेकिन आपने आईपीसी की धारा 323 और 325 के तहत भी एफआईआर दर्ज़ नहीं की.
एक लड़की ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उसे कई बार शारीरिक चोट पहुचाई गई थी लेकिन एफआईआर में अप्राकृतिक मौत का कहीं कोई ज़िक्र नहीं है. क्या उन कारणों की तहकीकात की ज़रुरत नहीं जिनकी वजह से उसे आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. कोर्ट ने कहा कि एक लड़की को उसके बार बार कहने के बावजूद उसे अपने माता पिता से बात नहीं करने दी. उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया और इसकी कोई जांच नहीं हुई
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सीबीआई को जांच सौंपने के दिये संकेत
राज्य पुलिस की तफ्तीश के रवैये से नाखुश सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने के संकेत दिए है. कोर्ट ने कहा कि बिहार पुलिस इस मामले में जैसे जांच कर रही है, उससे इन शेल्टर होम्स का भयावह सच कभी सामने नहीं आ पायेगा, क्योंकि न तो सही एफआईआर दर्ज हो रही है न ही आरोपियों की गिरफ्तारी हो रही है. ऐसे में क्यों न इन मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दिया जाय. कोर्ट ने सीबीआई के वकील से कहा कि आप एजेंसी से निर्देश लेकर कल तक बताएं कि क्या सीबीआई इन सभी शेल्टर होम्स की जांच के लिए तैयार है.
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बिहार सरकार को कल तक ग़लती सुधारने को कहा
कोर्ट की फटकार के बाद बिहार सरकार ने अपनी गलती मानते हुए कहा कि उनसे गलती हुई है. आगे से ऐसी गलती नहीं होगी. सरकार ने कोर्ट से एक मौका और देने की मांग की कोर्ट ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी को बुधवार दो बजे होने वाली सुनवाई से पहले ग़लती सुधारने को कहा. कोर्ट ने सरकार को बुधवार तक अपराध की गम्भीरता के हिसाब से आईपीसी की धारा 377 और पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा है.
Source : Arvind Singh