बिहार के मुजफ्फरपुर में बालिका गृह में 34 लड़कियों से यौन शोषण के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को बड़ा आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को बच्चों की सुरक्षा के लिए 'बाल संरक्षण नीति' बनाने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि मुजफ्परपुर के बालिका गृह में यौऩ शोषण के बाद देश के दूसरे हिस्सों में भी बालिका गृह में ऐसे ही मामले सामने आए हैं। फिलहाल मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में यौन शोषण कांड की सीबीआई जांच हो रही है और मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर जेल में बंद है। इस जांच की देखरेख पटना होई कोर्ट कर रहा है।
इस मामले में रविवार को सीबीआई ने ब्रजेश ठाकुर के बेटे को बालिका आश्रय गृह पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया था। जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने करीब 12 घंटों तक राहुल से पूछताछ की। पूछताछ के बाद सीबीआई बालिका गृह से राहुल को लेकर निकल गई। सीबीआई की टीम बालिका गृह में अपने साथ जेसीबी मशीन लेकर पहुंची थी।इससे पहले भी जेसीबी मशीन से खुदाई की गई थी, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ था। इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि आश्रय गृह में फिर से खुदाई की जा सकती है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीम ने सेंट्रल फॉरेसिंक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) के अधिकारियों के साथ मिलकर शनिवार को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बालिका गृह की तलाशी ली थी।
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ब्रजेश ठाकुर का बेटा हिंदी दैनिक 'प्रात: कमल' का प्रकाशक और संपादक है जो उसके आवासीय परिसर और आश्रय गृह के अंदर ही स्थित है। केंद्रीय जांच ब्यूरो के डीआईजी अभय कुमार के नेतृत्व में टीम सशस्त्र कमांडो के साथ ठाकुर के आवास पर पहुंची।
मुजफ्फरपुर कांड को लेकर कई चौंका देने वाले खुलासे सामने आ रहे है। बिहार पुलिस को शनिवार को ब्रजेश ठाकुर के पास से 40 मोबाइल फोन नंबर की सूची मिली है।
पुलिस ने कहा कि अधिकारियों ने ठाकुर को उस जगह पर देखा जहां लोग कैदियों से मिलने आते हैं। वहां से उन्हें हाथ से लिखी दो पर्चियां मिलीं जिसमें 40 मोबाइल नंबर और नाम लिखे थे। जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि सूची में एक मंत्री सहित कई प्रमुख लोगों के नाम हैं।
बिहार पुलिस ने शनिवार को दर्जन भर जेलों में छापा कर तलाशी ली जहां से कई आपत्तिजनक चीजें बरामद की गई है। मुजफ्फरपुर का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को दो जून को गिरफ्तार किया गया था। सिर्फ पांच दिन जेल में रहे ब्रजेश ठाकुर को सवासथय कारणों से कैदी वार्ड की जगह मेडिकल वार्ड में रखा गया है।
पटना हाई कोर्ट इस मामले की सीबीआई जांच की निगरानी कर रहा है।
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कैसे आया मामला सामने ?
गौरतलब है कि 'सेवा संकल्प एवं विकास समिति' द्वारा संचालित बालिका आश्रय गृह में 34 लड़कियों से दुष्कर्म की बात एक सोशल अडिट में सामने आई थी। बिहार समाज कल्याण विभाग ने मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा बिहार के सभी आश्रय गृहों का सर्वेक्षण करवाया था, जिसमें यौन शोषण का मामला सामने आया था।
इस सोशल अडिट के आधार पर मुजफ्फरपुर महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
Source : News Nation Bureau