मुजफ़्फरपुर बालिका आश्रय गृह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से बिहार सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा है कि बिहार पुलिस ठीक से एफ़आईआर (FIR) भी दर्ज़ नहीं करा पाई है. कोर्ट ने इसमें सुधार की मांग करते हुए कहा कि अगले 24 घंटे में पुलिस IPC (भारतीय दंड संहिता) के सेक्शन 377 (रेप) और POCSO (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्रोम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट) के तहत मामला दर्ज़ करे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अगर हमने पाया कि अपराध 377 IPC और POCSO एक्ट के तहत हुआ है और आपने FIR में इसका ज़िक्र नहीं किया है तो हम बिहार सरकार के ख़िलाफ़ एक आदेश पारित करेंगे.'
बिहार सरकार को फ़टकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'आप क्या कर रहे हैं? यह शर्मनाक है. अगर एक बच्ची के साथ रेप हुआ है और आप कह रहे हैं कि कुछ नहीं हुआ? आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? यह पूरी तरह से अमानवीय है. हमने पहले भी कहा था कि इस मामले को बेहद संवेदनशीलता के साथ देखा जाए क्या यही आपकी संवेदनशीलता है?' जब भी हमने यह फ़ाइल पढ़ी मुझे दुख़द लगी.'
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सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई का पक्ष रख रहे अधिवक्ता से कहा है कि 'वो सीबीआई से पूछें कि क्या सीबीआई TISS (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइट्स) के रिपोर्ट पर आधारित बिहार के 17 आश्रय गृह में हुए रेप मामले में से 9 मामलों की जांच कर सकती है?'
Source : News Nation Bureau