नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत को लेकर बीजेपी और केंद्र की मोदी सरकार ने पर्दा उठाने का दावा किया था। साथ ही उनकी मौत से जुड़े सभी तर्कों को खारिज भी किया था। लेकिन उनकी मौत की गुत्थी पर 70 सालों के पर्दे को हटाते हुए सरकार ने कहा है कि उनकी मौत ताइवान में हुए प्लेन क्रैश में हुई।
सरकार ने एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि 18 अगस्त 1945 को नेताजी की मौत ताइवान में हुए प्लेन क्रैश में हुई थी।
सयक सेन नाम के एक व्यक्ति ने आरटीआई के तहत सरकार से नेताजी की मौत पर सवाल पूछा था। जिसके जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा है कि शहनवाज कमिटी की रिपोर्ट, जस्टिस जी.डी. खोसला कमिशन, और जस्टिस मुखर्जी कमिशन की जांच से मिली जानकारी के बाद सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि नेताजी की मौत एक विमान दुर्घटना में 1945 में हुई थी।
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सायक सेन ने आरटीआई में गुमनामीबाबा या भगवानजी, जिन्हें 1985 तक उत्तर प्रदेश में देखा गया था, उनके बारे में भी पूछा था। गुमनामी बाबा के बारे में कुछ लोगों का यह मानना है कि वही नेताजी थे जो भेष बदलकर उत्तर प्रदेश में रह रहे थे।
गृह मंत्रालय ने कहा है कि मुखर्जी कमिशन रिपोर्ट के पेज नंबर 114-122 में गुमनामी बाबा के बारे में जानकारी दी गई है जो mha.nic.in पर मौजूद है।
गृह मंत्रालय का कहना है कि गुमनामी बाबा को लेकर मुखर्जी कमिशन इस नतीजे पर पहुंचा है कि गुमनामी बाबा नेताजी सुभाष चंद्र बोस नहीं थे।
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कोलकाता में नेताजी के परपोते चंद्र बोस ने कहा, 'मैं केंद्र सरकार से उस अधिकारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग करता हूं, जिसने इतना गैर जिम्मेदाराना जवाब दिया है। बिना किसी ठोस साक्ष्य के सरकार नेताजी की मौत के बारे में किसी नतीजे पर कैसे पहुंच सकती है?'
उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार को ऐसे भ्रामक बयानों पर माफी मांगनी चाहिए और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गायब होने के रहस्य का सच सामने लाने के लिए विशेष जांच दल गठित करना चाहिए।'
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Source : News Nation Bureau