नटराजन चंद्रशेखरन.... ये वो शख़्स हैं, जिसने आज से 30 साल पहले टाटा ग्रुप की एक ईकाई टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद इन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
बचपन में वो कहानी सुनी थी मेहनतकश चींटी की, जो आज भी हम अपने बच्चों को सुनाते हैं। एन चंद्रशेखरन की भी कहानी कुछ ऐसी ही है....। एन चंद्रशेखरन ने तीस साल पहले जब टाटा कंस्लटेंसी में नौकरी की शुरुआत की थी तो शायद ही उन्होंने कभी ये सोचा होगा कि अगले बीस साल में वो इसी कंपनी के सीईओ होंगे। और उसके अगले 10 साल बाद देश के सबसे बड़े उद्योग घराने टाटा ग्रुप यानि कि टाटा संस के चेयरमेन बनेंगे।
एन चंद्रशेखन की कहानी फर्श से अर्श तक....
बचपन से पढ़ाई में अव्वल रहे एन चंद्रशेखरन ने 1986 में कंप्यूटर्स एप्लीकेशन्स में मास्टर्स डिग्री तमिलनाडु के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज त्रीची जिसे आज नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से की और 1987 में टाटा कंस्लटेंसी ग्रुप में नौकरी हासिल कर ली।
देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट हाउस के चेयरमैन बनने जा रहे एन चंद्रशेखरन का जन्म 1963 में तमिलनाडु के एक छोटे से गांव मोहनूर में हुआ था। कॉलेज की पढ़ाई से दौरान उन्होंने अपना कॉलेज का प्रॉजेक्ट वर्क टीसीएस में किया, इसी की ठीक दो महीने बाद उन्हें कंपनी से ही जॉब का ऑफर मिल गया और इसके साथ एन चंद्रशेखरन की टाटा कंपनी के साथ सफर की शुरुआत हो गई।
बेहद मेहनती एन चंद्रशेखरन की काबिलियत कंपनी में किसी से छुपी नहीं, बल्कि और निखरती चली गई। कैंपस हायरिंग से शुरु उनके इस सफर में उन्होंने बेहद मेहनत से काम किया और जल्द ही टीम लीडर के तौर पर उभरने लगे। टीसीएस के फॉर्मर सीएफओ एस महालिंगम के मुताबिक उन्हें शुरू से ही एक टीम लीडर माना जाता था। उन्होंने सबसे अलग हटकर अपनी पहचान बनाई और सिर्फ 9 साल में वो टीसीएस के तत्कालीन वाइस चेयरमेन एस रामादोराई के एक्ज़ीक्यूटिव असिस्टेंट बन गए।
उनके कार्यकौशल के दीवाने लोग कभी कभी मज़ाक में कहते थे कि TCS का मतलब है 'टेक चंद्रा सीरियसली'। और यकीं मानिए उनकी यहीं कार्यशैली उन्हें आज देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट हाउस का चेयरमेन बनाने जा रही है। साल 2012 में जब टाटा संस के नए चेयरमेन की तलाश चल रही थी उस वक्त भी एन चंद्रशेखरन का नाम संभावित चेयरमेन की लिस्ट में आया था लेकिन ये और बात है कि उस वक्त उन्हें न चुन कर सायरस मिस्त्री को चुन लिया गया ।
लेकिन वो कहते है न कि भाग्य से ज़्यादा और समय से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता। इसीलिए शायद तब उनका समय नहीं आया था और आज समय उनका है। शायद इसी वजह यह है कि वो एक बार जो ठान लेते हैं उसे करके दिखाते हैं।
और पढ़ें- सायरस मिस्त्री की जगह TCS के पूर्व सीईओ एन चंद्रशेखरन बने टाटा संस के नए चेयरमैन
एक अख़बार के मुताबिक साल 2007 में जब डॉक्टर ने उन्हें बेहतर सेहत के लिए रोज 15,000 कदम चलने की सलाह दी थी, तब उस वक्त वो महज़ 100 मीटर ही दौड़ सके थे। लेकिन इसके ठीक 9 महीने बाद उन्होंने 42 किमी लंबा पहला फुल मैराथन पूरा किया। उसके बाद से चंद्रा दुनिया में कई मैराथन रेस में हिस्सा हो चुके हैं। इनमें बोस्टन, न्यूयॉर्क, बर्लिन, शिकागो और मुंबई मैराथॉन शामिल हैं।
इसके अलावा चंद्रा को कई अवॉर्ड्स भी मिले हैं। वहीं 2016 में रिज़र्व बैंक ने उन्हें अपने बोर्ड में भी डायरेक्टर चुना था। इसके अलावा वो वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम 2015-16 दावोस में चेयरमेन की भूमिका भी निभा चुके हैं। इंडो-यूएस सीईओ फोरम के भी वो सदस्य रह चुके है। 2013-13 में वो नैस्कॉम के भी चेयरमेन रह चुके हैं। उन्हें इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर 2015 में लगातार पांचवी बार 'बेस्ट सीईओ' भी चुना है। इसके अलावा कई उद्योगपतियों समूहों द्वारा उन्हें कई अवॉर्ड्स से नवाज़ा गया है।
और पढ़ें- टाटा ग्रुप में बड़ा फेरबदल: चंद्रशेखरन बने टाटा संस के चेयरमैन, गोपीनाथन बने TCS के सीईओ
HIGHLIGHTS
- 1987 में टाटा कंस्लटेंसी ग्रुप में नौकरी मिली।
- 1996 में TCS के तब के वायस चेयरमेन एस रामादोराई ने अपना एग्जिक्यूटिव असिस्टेंट चुना।
- 1999 में चंद्रशेखरन ने ई-बिज़नेस यूनिट शुरू की और पांच साल के अंदर 50 करोड़ डॉलर तक पहुंचा दिया।
- 2002 में जीई से 10 करोड़ डॉलर की डील हासिल की और कंपनी को नई ऊंचाई हासिल कराई।
- 2009 में रामादोराई के बाद TCS के सीईओ बने।
- उनके सीईओ पद के दौरान कंपनी का रेवेन्यू 6.3 अरब डॉलर से बढ़कर 16.5 अरब डॉलर हो गया।
Source : News Nation Bureau