असम के शिवसागर में न्यायिक हिरासत में नगालैंड के एक व्यक्ति की मौत हो गई. इसके बाद, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने चार सप्ताह के भीतर जिला पुलिस से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है. इंडीजिनस लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने आरोप लगाया कि गेलेकी पुलिस स्टेशन में पुलिस द्वारा कथित प्रताड़ना के कारण 21 अगस्त को ई हेनवेह फोम (35) की मौत हो गई. इस मुद्दे को सबसे पहले नगालैंड के राज्यसभा सदस्य एस फांगनोन कोन्याक ने उठाया था. उन्होंने ट्वीट किया, मैं शिवसागर में एक नागा युवक ई. हेनवीह फोम की हिरासत में मौत की कड़ी निंदा करता हूं. यह घटना किस तरीके से हुई इसकी गहनता से जांच होनी चाहिए. दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए. एक जीवन खो गया है!
वकील संघ के कार्यक्रम समन्वयक तेजांग चकमा ने कहा कि 25 अगस्त को एनएचआरसी में शिकायत दर्ज कराई गई थी और मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमें हस्तक्षेप किया गया था. उन्होंने कहा, नगालैंड के मोकोकचुंग जिले के अनाकी-सी गांव के निवासी फोम को 16 अगस्त को एक महिला के साथ गिरफ्तार किया गया था, जब वे गेलेकी जा रहे थे. उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, लेकिन पांच दिन बाद संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई. मृतक के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस हिरासत के दौरान उसे प्रताड़ित किया गया जिससे उसकी मौत हो गई. परिवार ने यह भी दावा किया कि गिरफ्तारी के समय वह शारीरिक रूप से स्वस्थ था.
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शिवसागर के पुलिस अधीक्षक सुभ्रज्योति बोरा ने कहा, मृतक अपनी मौत से दो दिन पहले जेल अस्पताल में भर्ती था. वह हिंसक पाया गया." उन्होंने पुलिस हिरासत में प्रताड़ना के आरोप को खारिज कर दिया. वकीलों के संघ ने NHRC से असम सरकार को सीआरपीसी की धारा 176 (1 ए) के तहत घटना की न्यायिक जांच करने, विस्तृत रिपोर्ट और पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज जमा करने का निर्देश देने का आग्रह किया. इसके अलावा, इसने दोषी पुलिस कर्मियों को निलंबित करने, उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई और मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये के अंतरिम मुआवजे की मांग की. इस घटना के विरोध में शुक्रवार को हजारों छात्रों ने पूर्वी नागालैंड के इलाकों में जन रैलियां कीं. नगालैंड के मुख्य सचिव जे आलम को सौंपे गए एक ज्ञापन में पूर्वी नगा छात्र संघ ने एक विशेष जांच दल द्वारा जांच और दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.