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नागालैंड गोलीबारी: मरने वालों के परिवार ने ठुकराया मुआवजा, रखी दो शर्तें 

नागालैंड में मोन जिले के ओटिंग गांव में सेना की कथित गोलीबारी में मारे गए 14 निवासियों के परिवार वालों ने घटना में शामिल सुरक्षाकर्मियों को 'न्याय के कटघरे' में लाने तक कोई भी सरकारी मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है.

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Keshav Kumar
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Nagaland firing

नागालैंड पुलिस ने दर्ज की FIR( Photo Credit : News Nation)

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नागालैंड में मोन जिले के ओटिंग गांव में सेना की कथित गोलीबारी में मारे गए 14 निवासियों के परिवार वालों ने घटना में शामिल सुरक्षाकर्मियों को 'न्याय के कटघरे' में लाने तक कोई भी सरकारी मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है. ओटिंग ग्राम परिषद ने एक बयान में कहा कि पांच दिसंबर को जब स्थानीय लोग गोलीबारी और उसके बाद हुई झड़प में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर रहे थे, तब राज्य के मंत्री पी पाइवांग कोन्याक और जिले के उपायुक्त ने 18 लाख 30 हजार रुपये दिए.

आम लोगों की दुखद मौत के एक हफ्ते बाद अब पीड़ित परिवार के सदस्यों और ग्रामीणों ने सरकार से मिलने वाली 11 लाख रुपये की मुआवजा राशि और सरकारी नौकरी लेने से इनकार कर दिया है. परिवार के सदस्यों सदस्‍यों की मांग है कि इस पूरे हत्‍याकांड में शामिल सुरक्षाकर्मियों को न्‍याय के कटघरे में लाया जाए और तत्‍काल प्रभाव से विवादास्‍पद सशस्‍त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) 1958 को निरस्‍त किया जाए. सेना की गोली से मारे गए 14 लोगों में 12 मोन जिले के ओटिंग गांव से ही थे.

बयान जारी कर रखीं दो शर्तें

रविवार को जारी बयान में कहा गया कि पहले उन्हें लगा कि यह मंत्री ने सद्भावना के तौर पर दिए हैं. बाद में पता चला कि यह मारे गए और घायलों के परिवारों के लिए राज्य सरकार की ओर से मुआवजे की एक किस्त थी. बयान पर ग्राम परिषद के अध्यक्ष लोंगवांग कोन्याक, अंग (राजा) तहवांग, उप अंग चिंगवांग और मोंगनेई और न्यानेई के गांव बुराह (गांव के मुखिया) के हस्ताक्षर थे. पुलिस के मुताबिक मोन जिले में चार से पांच दिसंबर के दौरान एक असफल उग्रवाद विरोधी अभियान और जवाबी हिंसा में कम से कम 14 नागरिक की मौत हो गई. साथ ही एक सैनिक की जान चली गई थी.

बयान में कहा गया कि ओटिंग ग्राम परिषद और पीड़ित परिवार, भारतीय सशस्त्र बल के 21वें पैरा कमांडो के दोषियों को नागरिक संहिता के तहत न्याय के कटघरे में लाने और पूरे पूर्वात्तर क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को हटाने तक इसे स्वीकार नहीं करेंगे. नागालैंड हिंसा में मरने वाले लोगों के परिजनों को सरकार ने 11 लाख रुपये और सरकारी नौकरी देने की बात कही है. 

ये भी पढ़ें - नागालैंड पर अमित शाह का संसद में बड़ा बयान, रोकने के बाद गाड़ी नहीं रोकी तो गोली चली

नागालैंड पुलिस ने दर्ज की FIR

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पूरी घटना पर खेद जताते हुए इसकी जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन करने को कहा था. इसके साथ ही सभी एजेंसियों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा ना हों. वहीं नागालैंड पुलिस ने 21वें पैरा एसएफ कमांडोज के खिलाफ नागरिकों पर गोलीबारी में कथित शामिल होने के लिए हत्या का मामला दर्ज किया है.

क्या है पूरा मामला?

सेना के जवानों को प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-के (NSCN-K) के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी. इसी गलतफहमी में इलाके में अभियान चला रहे सेना के जवानों ने एक वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की. इसमें 14 मजदूरों की जान चली गई.  गोलीबारी की पहली घटना शनिवार शाम कुछ कोयला खदान कर्मियों के एक पिकअप वैन में सवार होकर गाना गाते हुए घर लौटते वक्त हुई थी.

HIGHLIGHTS

  • पीड़ित परिवार ने 11 लाख मुआवजा और सरकारी नौकरी लेने से इनकार कर दिया
  • NSCN-K के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गलतफहमी में सेना ने की गोलीबारी
  • मोन जिले में चार से पांच दिसंबर के दौरान कम से कम 14 नागरिक की मौत हो गई
Ministry of Home Affairs AFSPA Military Force Compensation nagaland firing
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