बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम (Muzaffarpur Shelter Home case) केस में बिना सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी लिए जांच अधिकारी का तबादला करने पर सीबीआई के उस वक्त अंतरिम निदेशक रहे नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली है. गौरतलब है कि इस मामले में 7 फरवरी को हुई सुनवाई में बिना इजाजत के जांच टीम के सबसे वरिष्ठ अधिकारी एके शर्मा के ट्रांसफर पर नागेश्वर को कड़ी फटकार लगाते हुए उन्हें और इस ट्रांसफर के आदेश में शामिल सभी अधिकारियों को कोर्ट में तलब किया था. CBI के जॉइंट डायरेक्टर AK शर्मा को इस केस से हटाकर CRPF में नियुक्त कर दिया गया था जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए अवमानना करार दिया था.
इसी पर सीबीआई अधिकारी नागेश्वर राव ने कोर्ट में हलफनाम दाखिल कर अपनी गलती मान ली है. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा है कि मैं अपनी ग़लती मानता हूं, इसलिए बिना शर्त माफ़ी मांगता हूं. मुझे ट्रांसफर का आदेश देने से पहले कोर्ट की मंज़ूरी लेनी चाहिए थी.पर मैंने जानबूझकर कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं की है. मैं सपने भी ऐसा करने की नहीं सोच सकता.
शेल्टर होम मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नागेश्वर राव से कहा था कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खेल रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'आपको पता नहीं कि आपने क्या किया है. इस मामले में नाराज़ कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि आपने 31 अक्टूबर को कहा था कि एके शर्मा जांच टीम के सीनियर मोस्ट अफसर होंगे. तो फिर जांच की निगरानी कर रहे एके शर्मा का ट्रांसफर क्यों किया गया?.'
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि सीबीआई के वकील ने सूचित किया कि एम नागेश्वर राम समेत 2 अधिकारी एक शर्मा के ट्रांसफर में शामिल थे.
चीफ जस्टिस गोगोई ने इसपर नाराजगी जताते हुए सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव को तलब किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागेश्वर राव ने एके शर्मा का ट्रांसफर कर अवमानना की है. 12 फरवरी को नागेश्वर राव और अन्य अफसर पेश होंगे.
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामला बिहार से नई दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश देते हुये कहा कि बहुत हो गया और बच्चों से इस तरह का व्यवहार नहीं किया जा सकता. शीर्ष अदालत ने बिहार में मुजफ्फरपुर के अलावा 16 अन्य आश्रय गृहों के प्रबंधन पर असंतोष व्यक्त करते हुये नीतीश सरकार को आड़े हाथ लिया और उसे चेतावनी दी कि उसके सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर राज्य के मुख्य सचिव को बुलाया जायेगा.
क्या है पूरा मामला
मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस की एक रिपोर्ट में इस मामले का खुलासा हुआ था. इंस्टिट्यूट ने सूबे की सरकार को सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट में बच्चियों के साथ मुजफरपुर बालिका आश्रय गृह में लड़कियों के साथ यौन शोषण की घटना सामने आई थी. बच्चियों की चिकित्सकीय जांच के बाद 34 लड़कियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी.
Source : News Nation Bureau