एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज के नए मालिकाना हक के नाम पर मुहर लग गई है. इस कंपनी को नया मालिक मिल गया है. मंगलवार के दिन नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने जेट एयरवेज की कंट्रोलशिप जालान कैलरॉक कंसोर्शियम को ट्रांसफर करने का फैसला लिया है. आपको बता दें कि इस काम को पूरा करने के लिए करीब 90 दिन की समयसीमा तय की गई है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने जनवरी 2023 में ओनरशिफ ट्रांसफर की मंजूरी दे दी थी. इस फैसले को जारी रखते हुए एनसीएलटी ने कर्जदाताओं को 90 दिनों के भीतर ट्रांसफर करने का निर्देश दिया है.
लेंडर्स ने फैसले के खिलाफ की अपील
जब एनसीएलएटी ने जनवरी महीने में स्वामित्व हस्तांतरण को मंजूरी दे दी थी, तो अगले महीने फरवरी में जेट एयरवेज के ऋणदाताओं ने एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया था. भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाली ऋणदाताओं की समिति ने इस फैसले के खिलाफ एनसीएएलटी में अपील की, लेकिन जब NCALT की याचिका खारिज कर दी गई.
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क्या JKC ने शर्तों का नहीं किया पालन?
ट्रिब्यूनल ने 35 करोड़ रुपये की पहली किस्त के भुगतान के लिए निगरानी समिति के पास रखी 150 करोड़ रुपये की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी से समायोजन की अनुमति दी है. इससे पहले, जेकेसी ने सितंबर 2023 तक दो किस्तों में 200 करोड़ रुपये का पेमेंट किया था. हालांकि, ऋणदाताओं ने तर्क दिया कि जालान कलरॉक कंसोर्टियम ने हवाई अड्डे के बकाया के भुगतान से लेकर पहली किश्त के भुगतान तक समाधान योजना की शर्तों का पालन नहीं किया.
कैसे दिवालिया हो गई जेट एयरवेज?
इस कंपनी की शुरुआत नरेश गोयल ने की थी. आपको बता दें कि 90 के दशक की शुरुआत में हुई जेट एयरवेज इंडिया एविएशन कंपनी कुछ ही सालों में सबसे बड़ी खिलाड़ी बन गई थी. यानी कुछ ही सालों में इस कंपनी ने बड़ी एयरलाइंस कंपनियों के बीच जगह बना ली. बाद में इस कंपनी के पास कुल 120 विमान हो गए लेकिन धीरे-धीरे कंपनी पर कर्ज का बोझ बढ़ने लगा और इस तरह कंपनी दिवालिया हो गई कि 17 अप्रैल 2019 को ताला लगाना पड़ा. कंपनी की वित्तीय स्थिति को देखते हुए सभी विमानों का संचालन बंद कर दिया गया.
Source : News Nation Bureau