नारायण राणे : क्या केंद्रीय मंत्री की गिरफ्तारी संवैधानिक है?

लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति की अनुमति के बिना किसी मंत्री या सांसद को संसद भवन परिसर से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.

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Pradeep Singh
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केंद्रीय मंत्री नारायण राणे( Photo Credit : NEWS NATION)

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महाराष्ट्र के कद्दावर नेता एवं केंद्रीय कुटीर,लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री नारायण राणे की गिरफ्तारी के बाद देश भर में जन प्रतिनिधियों के गिरफ्तारी संबंधी कानून पर चर्चा हो रही  है. नारायण राणे महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य हैं. वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा चुके हैं. राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के चलते महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपशब्द कहने पर नासिक पुलिस ने उनको 8 घंटे हिरासत में रखा और फिर कड़ी शर्तों पर जमानत दिया. नारायण राणे वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं, वे संवैधानिक पद पर हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसी केंद्रीय मंत्रियों की गिरफ्तारी संवैधानिक और कानूनी है?

ऐसा नहीं है कि अभी तक किसी जन-प्रतिनिधि को संवैधानिक पद पर रहते हुए गिरफ्तार नहीं किया गया है. विगत 20 वर्षों में राणे गिरफ्तार होने वाले तीसरे मंत्री है.    इससे पहले, जून 2001 में केंद्रीय मंत्रियों- मुरासोली मारण और टीआर बालू को तमिलनाडु पुलिस ने 12 करोड़ रुपये के फ्लाइओवर घोटाले में गिरफ्तार गया था. उनसे पहले तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधी की भी गिरफ्तारी हो चुकी थी.   

भारत का संविधान लिखित है. संविधान में लोकतंत्र के चारों अंगों के साथ नागरिकों के अधिकार एवं कर्तव्य वर्णित हैं. जन प्रतिनिधियों और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के लिए भी कानून के तहत अधिकार एवं कर्तव्य साफ-साफ बताया गया है. 

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संविधान विशेषज्ञों के अनुसार केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से तो छूट हासिल है, लेकिन आपराधिक मामलों में नहीं. केंद्रीय मंत्रियों एवं सांसदों पर सिविल मामलों में कोई आरोप लगे तो संसद सत्र से 40 दिन पहले, संसद सत्र के दौरान और सत्र खत्म होने के 40 दिन बाद तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. उन्होंने लेकिन संसद के रूल बुक में ऐसा कुछ नहीं है कि आपराधिक मामलों में उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है.

केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की गिरफ्तारी से जुड़ा नियम?

किसी मंत्री या सांसद की गिरफ्तारी का नियम यह है कि संबंधित सदन के प्रजाइडिंग ऑफिसर (लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति) को मंत्री या सांसद की गिरफ्तारी की सूचना जरूर देनी होगी. तब संसद सत्र नहीं चल रहा हो तो पार्ल्यामेंट बुलेटिन में यह जानकारी प्रकाशित की जाती है और अगर संसद चल रहा हो तो संबंधित सदन को जानकारी दी जाती है. इस नियम में सिर्फ और सिर्फ एक अपवाद है कि अगर किसी मंत्री या सांसद को संसद भवन परिसर से ही गिरफ्तार किया जाना हो तो वो जिस सदन के सदस्य हैं, उसके पीठासीन अधिकारी (लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति) से इसकी अनुमति लेनी होगी. उनकी अनुमति के बिना किसी मंत्री या सांसद को संसद भवन परिसर से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.

राष्ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए नहीं किया जा सकता गिरफ्तार

संविधान में राष्ट्रपति और राज्यपाल दो ऐसे संवैधानिक पद हैं जिन पर आसीन व्यक्ति को सिविल या आपराधिक मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. राष्ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए आपराधिक मामलों में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. आपराधिक मामलों में भी उनकी गिरफ्तारी तभी संभव हो सकती है जब वो पद त्याग दें या उनका कार्यकाल खत्म हो जाए. यानी, राष्ट्रपति या राज्यपाल का पद उनके पास नहीं बचेगा, तभी उनकी गिरफ्तारी हो सकेगी.

HIGHLIGHTS

  • संवैधानिक पद पर रहते हुए गिरफ्तार होने वाले तीसरे व्यक्ति हैं नारायण राणे 
  • राष्ट्रपति और राज्यपाल की पद पर रहते हुए नहीं हो सकती है गिरफ्तारी
  • नारायण राणे और उद्धव ठाकरे में शुरू से रही है राजनीतिक प्रतिद्वंदिता
Uddhav Thackeray Shiv Sena narayan-rane Is the arrest of a Union Minister constitutional
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