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संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिए आसान नहीं होगा संसद का शीतकालीन सत्र

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया, जिसे अबतक अनंत कुमार संभाल रहे थे. इसके अलावा सांख्यिकी मंत्री सदानंद गौड़ा को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का प्रभार दे दिया गया है.

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Sunil Mishra
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संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिए आसान नहीं होगा संसद का शीतकालीन सत्र

प्रतीकात्मक तस्वीर

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केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया, जिसे अबतक अनंत कुमार संभाल रहे थे. इसके अलावा सांख्यिकी मंत्री सदानंद गौड़ा को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का प्रभार दे दिया गया है. इस मंत्रालय को भी अनंत कुमार संभाल रहे थे. राष्ट्रपति भवन की तरफ से यह जानकारी दी गई. राष्ट्रपति ने विभागों का यह आवंटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सलाह पर किया है. संसद का आगामी शीतकालीन सत्र नए संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिए चुनौतीपूर्ण होगा. कर्नाटक  के बेंगलुरु दक्षिण के सांसद और केंद्र सरकार में वरिष्‍ठ मंत्री अनंत कुमार का सोमवार को बेंगलुरू में निधन हो गया था. उनके निधन के बाद ये दोनों मंत्रालय मंत्री विहीन थे.

नरेंद्र सिंह तोमर पर आगामी शीतकालीन सत्र का सुचारू तरीके से संचालन की चुनौती होगी, जो आसान नहीं होगा. अयोध्‍या में राम मंदिर, राफेल डील, सीबीआई में घमासान, रिजर्व बैंक को लेकर विवाद, गोवा प्रकरण, नाम बदलने की राजनीति, श्रीलंका प्रकरण पर संसद में विपक्ष सरकार पर हमलावर रहेगा. इस कारण संसद का आगामी शीतकालीन सत्र अधिक हंगामेदार होगा. राफेल डील पर पिछले मानसून सत्र में जमकर हंगामा हुआ था और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने इस पर बयान भी दिया था, लेकिन विपक्ष उनके बयान से संतुष्‍ट नहीं हुआ और तब से लेकर अब तक राहुल गांधी अपने हर संबोधन में राफेल को लेकर प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री सहित अनिल अंबानी पर निशाना साधते रहे हैं.

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राफेल पर हंगामे के चलते मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया. सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मुद्दे पर केंद्र सरकार से सीलबंद लिफाफे में जानकारी मांगी. सरकार ने वह जानकारी सुप्रीम कोर्ट में प्रस्‍तुत भी कर दिया है. बुधवार को राफेल पर सुनवाई हो रही है. देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्‍या रुख अपनाता है. सुप्रीम कोर्ट में सरकार द्वारा दाखिल की गई जानकारी को लेकर भी राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. राहुल गांधी ने कहा है, मोदी सरकार ने कोर्ट में अपनी चोरी स्‍वीकार कर ली है.

अयोध्‍या में राम मंदिर
दलित उत्‍पीड़न एक्‍ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद की गई धारा को फिर से बहाल करने और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लगातार टलने से सरकार पर अयोध्‍या में राम मंदिर बनाने के लिए कानून या अध्‍यादेश लाने का दबाव बढ़ गया है. राम मंदिर की पैरोकारी करनेवालों का कहना है कि अगर सरकार दलित उत्‍पीड़न को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट सकती है तो राम मंदिर पर कानून क्‍यों नहीं बना सकती. सितंबर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी राम मंदिर पर कानून बनाने की पैरवी की थी. आरएसएस और विश्‍व हिन्‍दू परिषद का मानना है कि सरकार के लिए यह आखिरी मौका है और उसे कानून बनाना ही चाहिए. विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरता रहा है. अब विपक्ष को घेरने के लिए बीजेपी सांसद राकेश सिन्‍हा अयोध्‍या में राम मंदिर बनाने के लिए राज्‍यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल ला रहे हैं. राम मंदिर को लेकर रोजाना बयानबाजी हो रही है. जाहिर है विपक्ष इस मुद्दे को उठाने से नहीं चूकेगा.

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नाम बदलने की राजनीति
कुछ माह पहले उत्‍तर प्रदेश सरकार मुगलसराय स्‍टेशन का नाम बदलकर पं दीनदयाल उपाध्‍याय नगर रख दिया था. उसके बाद इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और फिर दिवाली के मौके पर फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्‍या रख दिया गया. नाम बदलने को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए शहरों का नाम बदलकर लोगों को बरगला रही है.

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उसके बाद गुजरात में अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती रखने को लेकर चर्चा शुरू हो गई. गुजरात उपमुख्‍यमंत्री नितिन पटेल ने बाकायदा कहा कि उचित समय पर इस बारे में फैसला लिया जाएगा. उन्‍होंने यह भी कहा कि लोगों की अरसे से यह मांग रही है और जनभावना को दरकिनार नहीं किया जा सकता.
इसके बाद बीजेपी के एक नेता ने कहा कि तेलंगाना में हमारी सरकार बनी तो हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्‍यनगर किया जाएगा. महाराष्‍ट्र में तो शिवसेना ने कई शहरों के नाम बदलने की मांग कर दी.

सीबीआई में घमासान
इसे लेकर भी विपक्ष सरकार पर हमलावर रहेगा. सीबीआई में वर्चस्‍व की जंग के बीच केंद्र सरकार ने दो सबसे वरिष्‍ठ अफसरों को लंबी छुट्टी पर भेज दिया था और एम नागेश्‍वर राव को प्रभार दे दिया था. सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने केंद्र सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. कॉमन कॉज संस्‍था के प्रशांत भूषण ने भी इस मामले में एक याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए CVC से दो हफ्तों में जांच रिपोर्ट तलब की थी. सुप्रीम कोर्ट ने CVC की जांच की मॉनीटरिंग करते हुए सेवानिवृत्‍त जज एके पटनायक को जिम्‍मेदारी सौंपी थी. CVC ने जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है.

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रिजर्व बैंक को लेकर बवाल
सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ कुछ मुद्दे पर असहमति को लेकर आज तक कभी इस्तेमाल नहीं किए गए अधिकार का जिक्र किया था. मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सरकार ने गवर्नर उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात के तहत निर्देश देने का उल्लेख किया. रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात केंद्र सरकार को यह विशेषाधिकार प्रदान करती है कि वह केंद्रीय बैंक के असहमत होने की स्थिति में सार्वजनिक हित को देखते हुए गवर्नर को निर्देशित कर सकती है. विपक्ष इसे रिजर्व बैंक की स्‍वायत्‍तता पर हमला बता रहा है और सरकार पर आरोप लगा रहा है कि वह संस्‍थाओं का राजनीतिकरण कर रही है.

Source : News Nation Bureau

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