नासा ने उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए एक वीडियो जारी किया है। इससे केरल में बारिश और बाढ़ की स्थिति की भयावहता का पता चलता है। पीटीईआई के मुताबिक, भारत में आमतौर पर इस समय में ग्रीष्मकालीन मॉनसून आता है और क्षेत्र में भारी बारिश होती है। हालांकि सामान्य मॉनसून के दौरान समय-समय पर कम दबाव के क्षेत्र बन सकते हैं। इस कारण अधिक बारिश हो सकती है।
बता दें कि केरल पिछले सौ साल में सबसे विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहा है और अब तक 231 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। केंद्र ने इस आपदा को 'गंभीर बताया है। नासा ने एक बयान में कहा है कि हिमालय की भौगोलिक स्थिति और पश्चिमी घाट के कारण दक्षिणी पश्चिमी तट पर भारी बारिश हो रही है।
यह पर्वतश्रेणी हिमालय जितनी बड़ी तो नहीं है लेकिन भारत के पश्चिमी तट के समानांतर चलती है। इसकी कई चोटियां 2,000 मीटर से भी अधिक ऊंची हैं। इस तरह से देखें तो पश्चिमी घाट की माकूल स्थिति के कारण भारत के पश्चिमी तटीय इलाकों में अधिक बारिश होती है। दक्षिण पश्चिम मॉनसून के तहत उत्तरी हिंद महासागर और अरब सागर से आने वाली गर्म हवाओं में निहित नमी इस पर्वत श्रेणी से टकराती है, जिससे अधिक बारिश होती है।
केंद्र सरकार ने नीतियों का हवाला देते हुए विदेशी सहायता लेने से किया मना
गौरतलब है कि केरल में आई इस भीषण बाढ़ को देखते हुए UAE और थाईलैंड ने भारत की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है हालांकि भारत सरकार ने नीतियों का हवाला देते हुए इसे लेने से मना कर दिया है।
मीडिया में सहायता राशि इंकार करने को लेकर चल रहे अटकलों के बीच बुधवार को विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया कि वे विदेशों से वित्तीय सहायता नहीं ले सकती है और मौजूदा नीति में कोई बदलाव भी नहीं होगा। विदेश मंत्रालय ने कहा, 'मौजूदा नीति के तहत, सरकार घरेलू प्रयासों के जरिये राहत और पुनर्सुधार की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। एनआरआई, पीआईओ और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से पीएम राहत कोष और सीएम राहत कोष में योगदान का स्वागत किया जाएगा।'
विदेश मंत्रालय ने कहा, 'भारत सरकार केरल बाढ़ त्रासदी के बाद राहत और पुनर्सुधार प्रयास के लिए विदेशी सरकारों सहित दूसरे देशों की मदद की काफी प्रशंसा करती है।'
इससे पहले मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि केंद्र इसे स्वीकार नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि '2016 की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति कहती है कि अगर दूसरे देश की सरकार आपदा पीड़ितों के लिए मित्र भाव से सहायता का पेशकश करती है तो केंद्र सरकार इसे स्वीकार कर सकती है। अभी सिर्फ बातचीत चल रही है देखते हैं क्या होता है।'
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विजयन ने कहा कि केरल बाढ़ को लेकर यूएई सरकार से फंड ट्रांसफर के लिए जरूरत पड़ने पर राज्य सरकार केंद्र सरकार के साथ उच्च स्तरीय बैठक करेगी। बताया जाता है कि मालदीव और कतर ने भी राज्य को मदद की पेशकश की है।
पिनरई विजयन ने बुधवार को कहा कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को किसी अन्य राष्ट्र के रूप में नहीं देखा जा सकता है। केंद्र द्वारा बाढ़ को लेकर विदेशी सहायता लौटाने के संबंध में विजयन ने कहा, 'मेरा मानना है कि यूएई ने खुद सहायता का प्रस्ताव दिया है। यूएई को किसी अन्य राष्ट्र के रूप में नहीं समझा जा सकता है, जैसाकि उनके शासकों ने रेखांकित किया है।'
विजयन ने बुधवार को कहा कि बाढ़ से प्रभावित कुल 12 लाख लोग अब राज्य के 3,314 राहत शिविरों में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में बुधवार को किसी भी क्षेत्र से किसी को भी बचाने की जरूरत नहीं पड़ी।
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विजयन ने कहा, 'सरकार ने केरल में बाढ़ राहत के लिए सहायता करने वाले विभिन्न रक्षा बलों के प्रति प्यार और साभार जताने के लिए 26 अगस्त को विदाई समारोह आयोजित करने का फैसला किया है।'
Source : News Nation Bureau