देश की आईटी उद्योग की संस्था नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड कंपनीज (नैस्कॉम) ने कहा है कि भारत की दो टॉप बड़ी कंपनियों को अमेरिका में प्लेसमेंट के लिए मात्र 8.8 प्रतिशत ही एच-1बी वीजा मिल पाए हैं। नैस्कॉम ने एक बयान में कहा, '6 आईटी कंपनियों में प्रमुख सॉफ्टवेयर कंपनी टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) और इंफोसिस को वित्त वर्ष 2015 में 7,504 एच-1बी वीजा मिले हैं।'
अमेरिका के एक अधिकारी ने पिछले सप्ताह भारतीय आईटी कंपनियों टीसीएस और इंफोसिस पर आरोप लगाया था कि उन्होंने गलत तरीके से एच-1बी वीजा का अधिकांश हिस्सा प्राप्त कर लिया था। इस आरोप के बाद नैस्कॉम ने यह बयान जारी किया है।
नैस्कॉम ने कहा कि वित्त वर्ष 2015 में एच-1बी वीजा प्राप्त करने वाली टॉप 20 प्रमुख कंपनियों में भारत की सिर्फ 6 आईटी कंपनियां शामिल थीं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया था, जिसमें एच-1बी वीजा नियमों में सुधार करने की बात शामिल है।
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नैस्कॉम ने कहा, 'अमेरिका में प्रत्येक प्रतिष्ठित डेटा स्रोत ने कंप्यूटर साइंस की प्रमुख कंपनियों के लिए अमेरिकी श्रमशक्ति की मांग और आपूर्ति के बीच तेजी से बढ़ते अंतर को दिखाया है, खासतौर से क्लाउड, बिग डेटा, और मोबाइल कंप्यूटिंग जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में।'
अमेरिकी श्रम विभाग का अनुमान है कि 2018 तक एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित) में 24 लाख रिक्तियां रहेंगी, जिनमें से 50 प्रतिशत रिक्तियां आईटी संबंधित पदों की होंगी।
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बयान में कहा गया है, 'भारतीय आईटी कंपनियों के पास 20 प्रतिशत से भी कम एच-1बी वीजा है, यद्यपि भारतीय नागरिकों के पास 71 प्रतिशत एच-1बी वीजा मिल जाता है, जो उनके उच्च कौशल का प्रमाण है, खासतौर से अत्यंत मलाईदार एसटीईएम कौशल श्रेणी में।'
Source : IANS