नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित आपदा प्रबंधन के सम्मेलन को संबोधित करते हुए देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, आपदा प्रबंधन भवनों से नहीं, भावनाओं से होता है. इस क्षेत्र में हमें विश्व में सर्वश्रेष्ठ और सर्वश्रेष्ठ बनना है. अमित शाह ने कहा, भारत विश्व का 7वां सबसे बड़ा देश है, दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला राष्ट्र है, इसलिए यहां आपदा की आशंका अधिक है.
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अमित शाह ने कहा, पहले सेना के भरोसे पर रहकर आपदा की अनदेखी होती रही है. भुज के भूकंप को याद करते हुए उन्होंने कहा, 2001 में आपदा प्रबंधन पर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विचार किया गया था. उसी समय आपदा प्रबंधन समीति का गठन किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि रास्ता अभी लम्बा है, दुनिया में हमें इस क्षेत्र में नम्बर 1 बनना है.
गृह मंत्री बोले- '1999 में ओडिशा (तब उड़ीसा) में तूफान से 10 हज़ार लोगों की मौत हुई थी, लेकिन यह आपदा प्रबंधन का ही कमाल था कि इस साल फोनी तूफान में केवल 64 लोगों की जानें गईं. हमें इस आंकड़े को भी न्यूनतम स्तर तक लाना है. उन्होंने कहा, 31 राज्यों में एनडीआरएफ है. इसी तर्ज पर 24 राज्यों में एसडीआरएफ का गठन किया जा चुका है. 5 सालों में एनडीआरएफ (NDRF) के सभी उपकरण भारतीय होने चाहिए.'
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उन्होंने कहा, "सार्क देशों को आपदा से बचाने के लिए हमने सेटेलाइट लांच किए हैं. खनन आदि में जो क्रेन, मशीनें हैं, उसकी देशभर की सूची भी एनडीआरएफ के पास होनी चाहिए, ताकि आपदा के समय उनका प्रयोग जिला स्तर पर किया जा सके."
अमित शाह ने कहा, "पहाड़ियों में जगल की आग पर भी एनडीआरएफ को ध्यान देना चाहिए. विदेशों से इसपर सीख लेनी चाहिए. आपदा के समय सभी संस्थायों के बीच चेन आफ कमांड तय होने चाहिए, ताकि स्थानीय प्रशासन भी साथ रहे.