पालघर मॉब लिंचिंग केस (Palghar Mob Lynching Case) में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra) को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है. पालघर मॉब लिंचिंग की घटना के बाद वायरल हुए वीडियो में कुछ पुलिस कर्मी भी दिख रहे थे, जिस कारण राज्य की पुलिस पर सवाल उठ रहे थे. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पुलिसकर्मियों की भूमिका को लेकर भी जवाब तलब किया है.
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पालघर (Palghar) में पिछले सप्ताह गुरुवार रात को कासा पुलिस थाना इलाके में यह हिंसक और अमानवीय घटना हुई थी. मिली जानकारी के मुताबिक रात करीब 10 बजे खानवेल मार्ग पर नासिक की तरफ से आ रही गाड़ी में 3 लोग थे. गांव वालों ने रोका और फिर चोर होने की शक में पत्थरों से हमला कर दिया. तीनों की मौके पर ही मौत हो गई थी. इन तीन लोगों में दो साधु और एक ड्राइवर था.
दोनों साधु मुंबई के कांदिवली से अपने गुरु के अंतिम संस्कार में गुजरात के सूरत जा रहे थे. इसमें 35 साल के सुशीलगिरी महाराज और 70 साल के चिकणे महाराज कल्पवृक्षगिरी थे. जबकि 30 साल का निलेश तेलगड़े ड्राइवर था.
साधुओं की हत्या के बारे में सूचना पर संत समाज बहुत आहत हुआ. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने उद्धव ठाकरे सरकार और पुलिस को साधुओं की हत्या के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा, समझौतावादी राजनीति के चलते शिवसेना और उद्धव ठाकरे हिदुत्ववादी एजेंडे से भटक गए हैं. महाराष्ट्र में साधु-संत सुरक्षित नही हैं. नरेंद्र गिरी ने हत्यारों के एनकाउंटर की मांग की.
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उन्होंने यह भी कहा कि साधुओं की हत्या करने वाले इंसान नही शैतान हैं. वहीं, महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को पत्र लिखकर इस घटना को सभ्य समाज पर कलंक बताया है. नरेंद्र गिरी ने चेताया कि हत्यारों पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो महाराष्ट्र सरकार के विरुद्ध आंदोलन किया जाएगा.
Source : News Nation Bureau