केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नेशनल टर्मरिक बोर्ड यानी राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को मंजूरी दे दी है. इस बोर्ड का लक्ष्य है कि भारत 2030 तक प्रतिवर्ष एक बिलियन डॉलर हल्दी का निर्यात करेगा. केंद्र सरकार के इस फैसले से किसानों में खुशी की लहर है. देश के किसानों के साथ-साथ तेलंगाना के निजामाबाद जिले के मोरथाड मंडल के पालेम गांव के मनोहर शंकर ने सरकार का फैसला आने के बाद अपना संकल्प पूरा किया है. 11 साल पहले मनोहर शंकर रेड्डी ने संकल्प लिया था की जब तक हल्दी किसान बोर्ड का गठन नहीं होगा तब तक वो अपने पैरों में चप्पल नहीं पहनेंगे और नंगे पैर चलेंगे. मोदी सरकार के तेलंगाना की रैली में हल्दी बोर्ड के गठन के बाद ऐलान किया कि अब वह अपना संकल्प पूरा करेंगे.
मनोहर शंकर ने 4 नवंबर 2011 को यह संकल्प लिया था कि जब तक हल्दी बोर्ड का गठन नहीं होगा तब तक वो नंगे पैर ही चलेंगे. मनोहर शंकर ने इसके लिए मन्नत भी मांगी थी. आदिलाबाद जिले के इचोदा से तिरुपति में भगवान वेंकटेश्वर के चरणों तक 63 दिन की पदयात्रा भी की थी और रातभर लॉकर में समय गुजारा था.
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मनोहर शंकर के पास नहीं है जमीन
दरअसल, मनोहर शंकर को उम्मीद थी कि केंद्र सरकार उनकी मांग पूरी करेगी. सरकार ने आखिरकार 11 साल उनकी मांग पूरी कर दी है. इसके बाद मनोहर शंकर ने सरकार के फैसले का स्वागत किया. उन्हें यह उम्मीद थी कि कभी-कभी हल्दी किसानों की मदद के लिए कोई आएगा जो उनके हित की बात करेगा. आज उनका संकल्प पूरा हो गया. हालांकि, आज शंकर रेड्डी एक भूमिहीन किसान हैं. उनके पास खेती करने के लिए जमीन नहीं है. एक व्यापार में नुकसान की भारपाई करने लिए उन्होंने अपनी सारी जमीन बेच दी.
मनोहर शंकर ने नहीं मानी थी किसानों की बात
मनोहर शंकर को अपने संकल्प और प्रतिज्ञा तोड़ने के लिए आसपास के किसानों ने उन्हें बहुत मान मनोवल भी किया था. किसानों ने उनसे चप्पल पहनने का आग्रह किया था, पर शंकर किसी की बात नहीं सुनी थी. उन्होंने 11 साल तक तपस्या किया और केंद्र सरकार के हल्दी बोर्ड गठन के बाद ही उन्होंने अपना संकल्प पूरा किया. बता दें कि मनोहर शंकर अपने क्षेत्र में 'पसुपु मनोहर रेड्डी' के नाम से भी जाने जाते हैं.
Source : News Nation Bureau