NCP Sharad Pawar: शरद पवार ने जब से एनसीपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है, तब से इसके पीछे के कारणों को टटोलने का प्रयास हो रहा है. कई बयानों के मद्देनजर अलग-अलग राय निकलकर सामने आई है. सीएम एकनाथ शिंद की शिवसेना भी कई दावे कर रही है. उसका कहना है कि अगर शरद पवार पार्टी प्रमुख बने रहते तो अजीत पवार ने पार्टी को तोड़ने की तैयारी कर ली थी. अजित पवार एनसीपी से करीब 40 विधायको को तोड़ने की फिराक में थे. इससे डर कर शरद पवार ने पार्टी को बचाना मुनासिब समझा.
इस तरह का दावा शिंदे गुट के विधायक महेश शिंदे ने किया है. इस बयान को लेकर शिंदे गुट के प्रवक्ता संजय शिरसाट ने कहा कि शरद पवार बड़े नेताओं में से एक हैं. वे दूर की सोचते हैं. वे उद्धव ठाकरे जैसी गलती नहीं करना चाहते थे. ऐसे में उन्होंने समझदारी दिखाते हुए, एनसीपी को टूटने से बचा लिया. इस तरह से देखा जाए तो अब पूरी एनसीपी शिंदे.फडणवीस के साथ होगी.
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गठबंधन की हवा निकाल दी
इस फैसले ने आघाड़ी गठबंधन की हवा निकाल दी है. बताया जा रहा था कि एनसीपी, कांग्रेस और ठाकरे गुट कई बड़ी रैलियों के आयोजन में जुटा हुआ था. संभाजीनगर, नागपुर और मुंबई की संयुक्त रैलियों का नाम वज्रमूट रैली रखा गया था. वज्र यानि फौलाद और मूठ का मतलब मुट्ठी. इस तरह से तीनों पार्टियां अपनी एकता को दिखाने की कोशिश कर रही थीं. मगर आने वाले समय में इस रैली के आयोजन की संभावनाएं खत्म हो चुकी हैं.
पार्टी पद से हट जाना ठीक समझा
विधायक महेश शिंदे के अनुसार, शरद पवार बेहद मंझे हुए राजनेता हैं. उन्हें समझ में आ गया कि अब पार्टी के पद से हट जाना ठीक होगा, नहीं तो एनसीपी का वजूद ही खत्म हो सकता है. जिस जमीन पर वे खड़े थे, वह पहले ही दरक चुकी थी. पार्टी को बचाने के लिए कुछ तो करना ही था. ऐसे में शरद पवार ने वहीं किया.
HIGHLIGHTS
- अजित पवार NCP से करीब 40 विधायको को तोड़ने की फिराक में थे
- उद्धव ठाकरे जैसी गलती नहीं करना चाहते थे Sharad Pawar
- Sharad Pawar ने एनसीपी को टूटने से बचा लिया: शिंदे गुट