तमिलनाडु में दस साल के अंतराल के बाद 19 फरवरी को होने वाले शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में नीट एक बड़ा मुद्दा बन गया है. तमिलनाडु विधानसभा द्वारा सितंबर 2021 में राज्यपाल आर.एन. रवि ने पिछले हफ्ते एक नया विवाद खड़ा कर दिया जो अब शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में केंद्र में है. अन्नाद्रमुक ने कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए शासन के दौरान था, जिसमें द्रमुक एक घटक भागीदार थी, जब नीट तैयार किया गया था. राज्यपाल ने नीट के खिलाफ विधेयक को पुर्नविचार के लिए वापस भेज दिया था. यह अलग बात है कि सरकार की ओर से बुलाए गए विशेष सत्र में विधेयक को फिर से पारित कर राज्यपाल के पास भेज दिया गया है.
सरकार ने राज्यपाल को फिर भेजा विधेयक
विधानसभा में राज्यपाल के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि पिछली डीएमके सरकार के दौरान तमिलनाडु में नीट परीक्षा आयोजित होने का कोई उदाहरण नहीं था और पलानीस्वामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह परीक्षा राज्य में आयोजित की गई थी. बीजेपी ने भी नीट को चुनावों में एक प्रमुख मुद्दा के रूप में लिया है, जिसमें कहा गया है कि नीट की वजह से गरीब पृष्ठभूमि के कई छात्रों को तमिलनाडु के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिला.
यह भी पढ़ेंः ISRO का श्रीहरिकोटा से PSLV-C52 लांच, दो छोटे उपग्रह भी भेजे गए
बीजेपी को पड़ सकता है भारी यह विवाद
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता पोन राधाकृष्णन ने बताया कि नीट ने तमिलनाडु में गरीब पृष्ठभूमि के छात्रों को राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पाने का मौका दिया है, जो पहले संभव नहीं था. परीक्षा की केंद्रीकृत प्रणाली अच्छी है. छात्र इससे लाभान्वित हो रहे हैं. हालांकि नीट के इर्द-गिर्द केंद्रित दो द्रविड़ प्रमुखों के साथ भाजपा की आवाज बहुत कमजोर हो गई है और उसका दांव उलटा भी पड़ सकता है.
HIGHLIGHTS
- राज्यपाल ने नीट विरोधी विधेयक वापस लौटाया था
- सरकार ने फिर मंजूरी के लिए भेजा राज्यपाल को
- अब यह मुद्दा शहरी निकाय चुनाव में और गर्माया