कोरोनावायरस महामारी के बीच राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) को आयोजित किए जाने को लेकर एक तरफ राजनीतिक उठापटक का माहौल बना हुआ है तो दूसरी ओर यह मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की चौखट पर पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में गैर बीजेपी शासित राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों ने एक याचिका दाखिल की है. नीट और जेईई परीक्षा को रद्द करने की मांग करते हुए पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की कैबिनेट मंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है.
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गैर भाजपा शासित राज्यों के छह मंत्रियों ने उच्चतम न्यायालय से केंद्र को इस साल नीट, जेईई परीक्षाएं कराने की अनुमति देने वाले उसके आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है. अलग अलग राज्यों के छह मंत्रियों ने परीक्षा रद्द न करने के 17 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुर्नविचार की मांग की है. ये सभी ग़ैरबीजेपी शासित राज्यों के मंत्री हैं. इस संयुक्त याचिका में परीक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों की सुरक्षा और जीने के अधिकार को सुनिश्चित करने का हवाला दिया गया है.
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इससे पहले 17 अगस्त को शीर्ष अदालत ने इस साल सितंबर में निर्धारित मेडिकल एवं इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं - नीट और जेईई के आयोजन के मामले में हस्तक्षेप करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि जीवन चलते रहना चाहिए और विद्यार्थी वैश्विक महामारी के चलते अपना बहुमूल्य साल बर्बाद नहीं कर सकते. शीर्ष अदालत ने सायंतन बिश्वास की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें नीट और जेईई दोनों परीक्षाओं का आयोजन करने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को ये परीक्षाएं टालने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.