लिपुलेख (Lipulekh) और कालापानी के मामले को लेकर पड़ोसी देश नेपाल (Nepal) और भारत के रिश्तों के बीच तल्खी आ गई. इसके बाद नेपाल ने कई मौकों पर भारत के खिलाफ बयानबाजी की. यहां तक कि नेपाल ने अपनी संसद में देश का नया नक्शा भी पास कर दिया. इन विवाद के बाद आज भारत और नेपाल के बीच एक अहम बैठक होने जा रही है. इस बैठक का फ्रेमवर्क पहले से तय था और इसका भारत-नेपाल के बीच किसी विवाद से लेना-देना नहीं है, हालांकि मौजूदा माहौल में इसकी अहमियत बढ़ गई है. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान होकर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (K P Sharma Oli) अपनी रणनीति बदल रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः कोरोना संकट के बीच मानसूत्र सत्र बनाएगा अनोखा रिकॉर्ड
15 अगस्त को किया था फोन
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को फोन किया था. ये फोन कॉल ऐसे समय में हुआ है जब पिछले कुछ महीनों में नेपाल और भारत के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था. दोनों देशों के समकक्षों के बीच कूटनीतिक स्तर पर अच्छी बातचीत की गई. सूत्रों के मुताबिक ओली ने कहा कि इस संवाद को किसी के हार जीत और किसी के झुकने और किसी के अड़ने के रूप में नहीं लिया जाए. संबंधों में सुधार हो रहा है. दोनों तरफ से प्रयास हो रहा है. इसके बाद भारत की ओर से जो आधिकारिक बयान जारी हुआ उसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री ने नेपाल के पीएम को टेलीफोन कॉल के लिए धन्यवाद दिया और भारत और नेपाल के सदियों पुराने और सांस्कृतिक संबंधों को याद किया.
यह भी पढ़ेंः संसद भवन एनेक्सी में लगी भीषण आग, बड़ा नुकसान होने की आशंका
नेपाल के इलाकों पर चीन ने किया कब्जा
पिछले दिनों ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं कि चीन ने नेपाल की जमीन पर कब्जा कर लिया है. इसे लेकर नेपाल के लोग सरकार से सवाल भी पूछ रहे हैं. नेपाल में यह मामला लगातार बढ़ता जा रहा है. गौरतलब है कि पिछले दिनों नेपाली जमीन पर चीन का कब्जा होने की रिपोर्ट देने वाले नेपाली पत्रकार बलराम बनिया की संदिग्ध मौत हो गई. नेपाल के कांतिपुर डेली के असिस्टेंट एडिटर बलराम बनिया की मौत को लेकर नेपाल के पत्रकार संगठन निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं.
सीमा विवाद के बाद पहली बार बातचीत
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी और पीएम के पी शर्मा ओली के बीच ये बातचीत सीमा विवाद शुरू होने के बाद पहली बार हुई है. 8 मई को जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख दर्रे को उत्तराखंड के धारचूला से जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनीतिक सड़क का उद्घाटन किया तो इसके बाद नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपना इलाका बताते हुए नया नक्शा जारी कर दिया. जून में नेपाल की संसद ने इस राजनीतिक नक्शे को मंजूरी भी दे दी.
Source : News Nation Bureau