मैगी को मनपसंद मानने वाले लोगों के लिए बुरी खबर है. सुप्रीम कोर्ट में नेस्ले इंडिया ने माना कि उनके सबसे लोकप्रिय उत्पाद मैगी में लेड (शीशा) की मात्रा थी. नेस्ले इंडिया के इस कथन के बाद देश की उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय उपभोक्ता वाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) में भारत सरकार को कंपनी के खिलाफ आगे की कार्यवाही करने की मंजूरी दे दी है. इससे नेस्ले की मुश्किलें बढ़ना तय है. सुनवाई के दौरान जज ने नेस्ले इंडिया के वकीलों से पूछा कि हमें लेड (शीशे) वाली मैगी क्यों खानी चाहिए?
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भारत सरकार ने नेस्ले इंडिया से 640 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है. सरकार ने कहा कि नेस्ले ने मैगी के लिए भ्रामक प्रचार, झूठी लेबलिंग और व्यापार के गलत तरीकों को अपनाया है. साल 2015 में मैगी में शीशा की काफी मात्रा मिली थी. बता दें कि शीशा हमारे शरीर के लिए काफी नुकसानदायक है. इसके अधिक सेवन से हमारी किडनियां खराब हो सकती हैं और इसके साथ ही ये हमारे नर्वस सिस्टम को भी तबाह कर सकता है.
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मैगी में शीशे की मात्रा पाए जाने के बाद भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने इस पर रोक लगा दिया था. प्राधिकरण ने मैगी को इंसान के लिए असुरक्षित और खतरनाक करार दिया था. काफी समय तक उत्पादन बंद रहने के बाद कंपनी ने इसमें सुधार का दावा किया और वापस भारतीय बाजारों में लौट आई.
Source : News Nation Bureau