चीन के साथ देश की सीमा की रक्षा के लिए जिम्मेदार भारतीय सेना की सक्रिय रूप से महत्वपूर्ण उत्तरी और पूर्वी कमानों को पड़ोसी देश के साथ जारी सीमा गतिरोध के बीच मंगलवार को नए कमांडर मिल गए. भारत और चीन के बीच करीब 21 महीने से गतिरोध बना हुआ है. लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जहां उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला, वहीं लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने कोलकाता मुख्यालय वाली पूर्वी कमान का कार्यभार संभाला. द्विवेदी ने लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी की जगह ली, जो सोमवार को सेवानिवृत्त हुए थे. वहीं कलिता लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे की जगह लीं, जिन्होंने सेना के उप प्रमुख के रूप में पदभार संभाला है.
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सेना कमांडर के रूप में तैनात होने से पहले द्विवेदी और कलिता सेना मुख्यालय में उप प्रमुख थे. सैनिक स्कूल, रीवा और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र रहे द्विवेदी को दिसंबर 1984 में जम्मू और कश्मीर राइफल्स में शामिल किया गया था. जबकि कलिता को जून 1984 में 9 कुमाऊं में कमीशन किया गया था. द्विवेदी ने 12 जनवरी को भारत-चीन सैन्य वार्ता के 14वें दौर के बाद उत्तरी कमान का कार्यभार संभाला था.
भारत-चीन के बीच अभी तक सकारात्मक परिणाम नहीं
भारत और चीन के बीच पहले की तरह इस दौर में भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकल सका. हालांकि दोनों पक्ष लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शेष मुद्दों के पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर तेजी से काम करने के लिए निकट संपर्क में रहने और सैन्य और राजनयिक बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए थे. दोनों सेनाओं ने कहा कि 15वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता जल्द से जल्द होनी चाहिए. कलिता ने ऐसे समय में पदभार संभाला है जब चीनी पीपुल्स आर्मी ने अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के पार अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं.
HIGHLIGHTS
- भारत और चीन के बीच करीब 21 महीने से लगातार गतिरोध बना हुआ है
- लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने
- लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने कोलकाता मुख्यालय वाली पूर्वी कमान का कार्यभार संभाला