दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को लेकर कहा कि देश 34 सालों से इसका इंतजार कर रहा था. अब ये हमारे सामने है. यह एक दूरदर्शी दस्तावेज हैं, जो आज की शिक्षा प्रणाली की खामियों को स्वीकार करता है.
हालांकि उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में दो खामियां हैं. पहली यह कि ये अपनी पुरानी समझ, परंपराओं के बोझ से दबी है और उससे मुक्त नहीं हो सकी है. दूसरा ये पॉलिसी भविष्य की जरूरतों बात करती है. लेकिन इसे लेकर लोगों में भ्रम है. उन्होंने खास तौर पर कहा कि नई शिक्षा नीति हाइली रेगुलेटेड और पुअरली फंडेड है.
उन्होंने कहा कि HRD मिनिस्ट्री का नाम शिक्षा मंत्रालय होगा- ये अच्छी बात है मैं खुद ये कहता रहा. लेकिन केवल नाम बदलने से कुछ नहीं होगा, बाकी चीज़ भी बदलनी होंगी जो नहीं बदल रही. अर्ली चाइल्डहुड एजुकेशन को फॉर्मल माना जायेगा ये अच्छी बात है. फाउंडेशन की पढ़ाई मातृभाषा में होगी, अच्छी बात है. B.Ed अब 4 साल का होगा ये भी अच्छा निर्णय है.
गिनाई खामियां
उन्होंने कहा कि यह हाइली रेगुलेटेड है. शिक्षा बोर्ड, शिक्षा आयोग, रेगुलेटरी ऑथोरिटी आदि आपस मे टकराएंगी. कैसे GDP का 6% शिक्षा पर खर्च करेंगे इसका कोई ब्यौरा नहीं है. ऐसे बात तो 1966 से कही जा रही है.
Secondly, the Policy doesn't say how will the reforms, it speaks of, will be achieved. The Policy is either silent or confused on those issues: Manish Sisodia, Delhi Deputy Chief Minister and Minister of Education https://t.co/o06oBfDFH3
— ANI (@ANI) July 30, 2020
उन्होंने कहा कि पालिसी सबको समान शिक्षा की बात हो रही है लेकिन मॉडल फेल है. एक DPS स्कूल में जाने वाला मॉडल है दूसरा आंगनवाड़ी वाला मॉडल है. ये दोनों समान कैसे हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन सबको देना सरकार की ज़िम्मेदारी है. लेकिन सरकारी स्कूल सिस्टम को कैसे सुधारा जाए इसका कोई ज़िक्र नहीं। बल्कि ये तो प्राइवेट स्कूल को बढ़ाने पर ज़ोर है. क्या सरकार 34 साल बाद प्राइवेट स्कूलों को बढ़ाने की पॉलिसी लेकर आई है.
उन्होंने कहा कि 4 साल का B.Ed होगा ये अच्छी बात है. यानी सरकार टीचिंग में क्वालिटी लाना चाहती है. लेकिन आज के 80 लाख टीचर को इस पॉलिसी में कहाँ एडजस्ट किया जाएगा इस पर कोई बात नहीं. यानी मौजूदा टीचर की ट्रेनिंग पर कोई काम नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि पॉलिसी में कहा गया है कि सभी यूनिवर्सिटी को multi disciplinary बनाएंगे. तो क्या IIT में लोग एक्टिंग सीखेंगे और FTII में इंजीनियरिंग सीखेंगे? ये कैसे होगा? ये तो सब बर्बाद कर देगा.
दिए सुझाव
मनीष सिसोदिया ने नई शिक्षा नीति की खामियां गिनाने के बाद कई सुझाव भी दिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार सीरियस है तो फंडिंग के लेकर कानून लाए. एजुकेशन बजट का कानून बनाया जाए कि 6% GDP का खर्च शिक्षा पर अनिवार्य होगा.
मौजूदा टीचरों को नेशनल और अंतरराष्ट्रीय ट्रेनिंग दिलवाएं. 80 लाख टीचर हैं देश में उनका इससे स्तर बढ़ेगा. आगे उन्होंने कहा कि सरकार को ओवर रेगुलेशन के मोह से निकलना चाहिए. टीचर्स व अन्य स्टाफ को स्वायत्तता देनी चाहिए. अलग-अलग आयोग, समिति, आदि बनाने से काम नहीं होगा.
Source : News Nation Bureau