पुनिंग मंदिर, चीन में मशहूर हान और तिब्बती शैलियों के मिश्रण वाला मंदिर

पुनिंग मंदिर, चीन में मशहूर हान और तिब्बती शैलियों के मिश्रण वाला मंदिर

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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग 24 अगस्त को उत्तरी चीन के छंगते शहर के निरीक्षण के दौरान विशेष तौर पर पुनिंग मंदिर गये। पुनिंग मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह हान और तिब्बती शैलियों के मिश्रण वाला मंदिर है । मंदिर का अग्र भाग हान शैली का है यानी यहां हान जाति के परंपरागत मठ की विशेषता मौजूद है ,जबकि इस मंदिर का पिछला भाग तिब्बती शैली का है ।दोनों विभिन्न शैलियों के वास्तु निर्माण के तालमेल से मिश्रण यहां देखा जा सकता है।

विशाल पुनिंग मंदिर का कुल क्षेत्रफल लगभग 33 हजार वर्गमीटर है ,जिसमें भवन और पैवेलियन समेत 29 विभिन्न इमारतें है। पुनिंग मंदिर की मुख्य बुद्ध प्रतिमा अवलोकितेश्वर की है ,जो काष्ठ से बनी है, और उसमें बाहर की ओर सोने की पेंटिंग लगी है। उसकी ऊंचाई 27.21 मीटर है।

पुनिंग मंदिर का निर्माण वर्ष 1755 में शुरू हुआ। उस साल तत्कालीन छिंग राजवंश की सेना ने जुंगार मंगोलियाई समुदाय के विद्रोह को कुचल दिया। उस साल की सर्दियों में ओलोट मंगोलिया के चार समुदाय छंगते में तत्कालीन सम्राट छेन लोंग से मिलने के लिए आये। इस भेंट की स्मृति के लिए छेन लोंग ने इस मंदिर का निर्माण करने का फैसला किया, जो छिंग राजवंश का पहला शाही मंदिर है । पुनिंग का मतलब होता है कि व्यापक शांति। इस अहम मामले की याद के लिए बादशाह छेन लोंग ने खुद तीन शिलालेख लिखे। अब तक वे तीन ऊंचे-ऊंचे शिलालेख पुनिंग मंदिर में मौजूद हैं। पुनिंग मंदिर के निर्माण के बाद यह तिब्बत, मंगोलिया के विभिन्न समुदायों और छिंग राजवंश के बीच धार्मिक और राजनीतिक संपर्क का मुख्य स्थान बन गया ,जो चीन में जातीय एकता का प्रतीक भी है। छठे पंचन लामा छिंग राजवंश के सम्राट के दर्शन करने के लिए वहां रुके थे।

वर्ष 1994 में पुनिंग मंदिर यूनेस्को के विश्व सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल हुआ। वर्ष 2007 में पुनिंग मंदिर को चीन में पहले जत्थे के 5 ए दर्जे वाले मंदिर की उपाधि मिली । हर साल बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री यहां आते हैं।

(साभार----चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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Source : IANS

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