जापानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार जापान सरकार और टोक्यो बिजली कंपनी ने समुद्री सुरंग से फुकुशिमा प्रथम नाभिकीय बिजली घर के परमाणु अपशिष्ट जल को समुद्र में छोड़ने का फैसला किया है। अगर यह खबर सही है ,तो जापान सरकार ने देशी विदेशी विरोध के बावजूद एकतरफा तौर पर वैश्विक पर्यावरण सुरक्षा और जन स्वास्थ्य पर नुकसान पहुंचाने की ओर एक खतरनाक कदम उठाया है। एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों यहां तक कि पूरे विश्व के समुद्र तटीय देशों को जापान से मुआवजा मांगने का अधिकार है।
फुकुशिमा परमाणु अपशिष्ट जल के मुद्दे पर जापान को साफ समझना होगा कि यह न सिर्फ जापान का आंतरिक मामला है। इस सवाल का समाधान वैश्विक समुद्रीय पारिस्थितिकी सुरक्षा और विभिन्न देशों की जनता के जीवन व स्वास्थ्य से जुड़ा है। जापान हितधारक पक्षों और अंतर्राष्ट्रीय संस्था के साथ मतैक्य प्राप्त करने से पहले समुद्र में अपशिष्ट जल नहीं छोड़ सकता।
संयुक्त राष्ट्र समुद्र समझौते के अनुसार विभिन्न देश समुद्रीय पर्यावरण की सुरक्षा करने को बाध्य हैं। इस समझौते की 235वें धारा के अनुसार विभिन्न देशों को अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार अपना कर्तव्य निभाना होता है। जापान इस अंतर्राष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला देश है। उसे अपनी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी और कर्तव्य से नहीं बचना चाहिए। अगर जापान इस मुद्दे पर मनमानी काररवाई करेगा ,तो उसे न्याय की सजा निश्चित तौर पर मिलेगी।
(साभार-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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Source : IANS