चीन और भारत जैव विविधता संरक्षण में संचार और सहयोग को मजबूत कर सकते हैं- भारतीय मीडियाकर्मी

चीन और भारत जैव विविधता संरक्षण में संचार और सहयोग को मजबूत कर सकते हैं- भारतीय मीडियाकर्मी

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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2021 संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता संधि के हस्ताक्षरकर्ताओं का 15वां सम्मेलन (सीओपी15) 11 अक्तूबर को दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी खुनमिंग में उद्घाटित हुआ। आज की दुनिया में वैश्विक पारिस्थितिक और पर्यावरणीय समस्याएं तेजी से प्रमुख होती जा रही हैं, सभी देश जलवायु परिवर्तन से निपटने और पृथ्वी के घर की रक्षा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। सीओपी15 के मेजबान देश के रूप में चीन ने दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया है।

भारतीय लाइव इंडिया टीवी चैनल के वरिष्ठ पत्रकार अभिनव जैन, जो लंबे समय में पर्यावरण संबंधी क्षेत्र में रिपोटिर्ंग करते हैं, ने चाइना मीडिया ग्रुप के संवाददाता को दिए एक इन्टरव्यू में कहा कि इधर के सालों में चीन जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण की रोकथाम और जैव विविधता के संरक्षण के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया में तेजी से ज्यादा से ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

उन्होंने कहा कि इस समय पूरी दुनिया की नजरें चीन पर टीकी हैं क्योंकि चीन सीओपी15 जैव विविधता सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। चीन को इस पृथ्वी के सबसे जैविक रूप से समृद्ध देशों में से एक माना जाता है। दुनिया के 36 जैव विविधता हॉटस्पॉट में से चार जैव विविधता हॉटस्पॉट चीन में हैं। इसलिए यह देखना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि मौजूदा जैव विविधता सम्मेलन में पूरी वैश्विक जैव विविधता संरक्षण के लिए क्या नए लक्ष्य निर्धारित किये जाएंगे।

अभिनव ने आगे यह भी कहा कि चीन के युन्नान प्रांत में सीओपी15 का आयोजन चीन की जैव विविधता में एक खिड़की प्रदान करता है। यह जैव विविधता संरक्षण में देश के प्रयासों पर भी प्रकाश डालता है और चीन के प्रयासों और उपलब्धियों की एक झलक भी देता है।

हाल के वर्षों में चीन ने गरीबी से छुटकारा पाने, प्रदूषण को कम करने, मरुस्थलीकरण की रोकथाम करने, वनीकरण करने, पर्यावरण कानून बनाने और नागरिकों की पर्यावरण जागरूकता बढ़ाने आदि क्षेत्रों में प्रगति हासिल की है। चीन का करीबी पड़ोसी भारत भी अत्यंत समृद्ध जैव विविधता वाला देश है।

अभिनव ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि जैव विविधता का नुकसान और जलवायु परिवर्तन अभूतपूर्व दरों पर हो रहा है, जिससे मानवता के अस्तित्व को खतरा है। प्रकृति संकट में है, लेकिन उन्हें पूरी उम्मीद है कि दुनिया के प्रमुख देश भारत, चीन, अमेरिका आदि देश इस संकट का निपटारा करने में सक्षम होंगे। गतिशील और समृद्ध प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियां मानव कल्याण और समृद्धि की नींव हैं। अवश्य ही, भारत और चीन को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों को साथ आना चाहिए, और विचारों व समझ का आदान-प्रदान करना चाहिए। यह न केवल एशिया के लिए लाभदायक होगा, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भी लाभदायक होगा।

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता संधि के हस्ताक्षरकर्ताओं का 15वां सम्मेलन (सीओपी15) इस वर्ष 11 से 15 अक्तूबर तक, और अगले वर्ष के पूर्वार्ध में दो चरणों में खुनमिंग शहर में आयोजित किया जाएगा। पहले चरण का सम्मेलन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मिश्रित माध्यम से आयोजित होगा, जबकि दूसरे चरण का सम्मेलन ऑफलाइन के जरिए आयोजित किया जाएगा। मौजूदा सम्मेलन की थीम पारिस्थितिक सभ्यता: पृथ्वी पर जीवन के साझे समुदाय का सह-निर्माण है। इस दौरान 2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता ढांचा तैयार किया जाएगा, ताकि वैश्विक जैव विविधता संरक्षण के लिए नए लक्ष्य निर्धारित किये जा सकें।

(थांग युआनक्वेइ, चाइना मीडिया ग्रुप, खुनमिंग)

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Source : IANS

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