स्थानीय समय के अनुसार, 6 अक्तूबर को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के विदेश मामला कार्यालय के अध्यक्ष यांग च्येछी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के प्रभारी सहायक जेक सुलिवन के साथ स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में मुलाकात की। दोनों पक्षों ने 10 सितंबर को दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच हुई फोन वार्ता की भावना को लागू करने और चीन-अमेरिका संबंधों को स्वस्थ और स्थिर विकास के सही रास्ते पर वापस लाने पर सहमति जतायी।
लगभग एक महीने पहले, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ फोन कर बात की, उन्होंने बल देते हुए कहा कि चीन-अमेरिका संबंध एक बहुविकल्पीय प्रश्न नहीं है कि क्या इसे अच्छी तरह से किया जाए, बल्कि कैसे अच्छी तरह से किया जाए वाला सवाल है, जिसका जवाब देना जरूरी है। उस समय राष्ट्रपति बाइडेन ने भी सहयोग की सूचना व्यक्त की। इस बार चीनी और अमेरिकी वरिष्ठ प्रतिनिधियों की आमने-सामने की मुलाकात का उद्देश्य दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों द्वारा फोन बातचीत में संपन्न अहम आम सहमतियों का कार्यान्वयन करना है। दोनों पक्षों ने रणनीतिक संपर्क को मजबूत करने, मतभेदों को ठीक से नियंत्रित करने, संघर्ष और टकराव से बचने, आपसी लाभ व उभय जीत की तलाश करने और चीन-अमेरिका संबंधों को स्वस्थ एवं स्थिर विकास के सही रास्ते पर वापस लाने पर सहमति जतायी।
इधर के सालों में चीन-अमेरिका संबंध खराब होने का कारण है कि अमेरिका ने चीन को लेकर बड़ा रणनीतिक गलत निर्णय किया और द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर रूप से गलत समझा। इस तरह दोनों पक्षों को सामरिक संपर्क को मजबूत करना चाहिए, खास कर अमेरिका का चीन के प्रति अपनी गलत समझ का समायोजन करना चीन-अमेरिका संबंधों को सही पथ पर वापस लौटने के लिए महत्वपूर्ण है।
अमेरिका को दोनों देशों के बीच पारस्परिक लाभ और उभय जीत वाले संबंधों के मूल तत्व को गहराई से समझना चाहिए। डॉक्टर हेनरी किसिंगर ने अमेरिका की वैश्विक रणनीति नामक पुस्तक में कहा है कि चीन और अमेरिका के सहयोग संबंधों का विकास करना एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को दिया गया दान नहीं है, बल्कि दोनों पक्षों के समान हितों के अनुरूप है। चीन ने मौजूदा वार्ता में स्पष्ट रूप से चीन-अमेरिका संबंधों में प्रतिस्पर्धा की परिभाषा पर अपना विरोध व्यक्त किया, जो अमेरिका में कुछ लोगों की गलतफहमी का सुधार है।
इसके साथ ही अमेरिका को चीन की घरेलू और विदेश नीतियों तथा रणनीतिक इरादे को सही ढंग से समझना चाहिए। चीन ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि चीन के पास अमेरिका को चुनौती देने या उसका स्थान लेने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन वह लगातार खुद से आगे निकलने की कोशिश करता है। चीन के पास आधिपत्य की रणनीति नहीं है, केवल विकास की रणनीति है, इसका उद्देश्य चीनी लोगों को अच्छा जीवन जीने में सक्षम बनाना है। अमेरिका में कुछ लोग चीन को सबसे बड़ा रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी या यहां तक कि काल्पनिक दुश्मन के रूप में परिभाषित करते हैं। वे घरेलू समस्याओं को चीन में स्थानांतरित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जाहिर है कि उन्हें गलत नुस्खा मिल गया है।
हाल के दिनों में अमेरिका ने चीन-अमेरिका संबंधों को लेकर कुछ सक्रिय रूख व्यक्त किया। जैसा कि उसने कहा कि अमेरिका के पास चीन के विकास को बाधित करने की मंशा नहीं है, वह नया शीत युद्ध नहीं करेगा, एक-चीन की नीति पर कायम रहेगा। यह रुख बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन कथनी की तुलना में करनी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। अमेरिका को ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक तरफ कहता है कि वह चीन को बाधित नहीं करता, लेकिन दूसरी तरफ वह चीन को दबाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। अमेरिका को चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हितों का ईमानदारी से सम्मान करना चाहिए और थाईवान, हांगकांग, शिनच्यांग, तिब्बत, समुद्र और मानवाधिकार आदि चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करना चाहिए। यह चीन-अमेरिका संबंधों को फिर से सही रास्ते पर लाने के लिए पूवार्पेक्षा है।
इतिहास और वास्तविकता ने साबित किया है कि चीन और अमेरिका के बीच टकराव से दोनों देशों और दुनिया को गंभीर नुकसान होगा। चीन-अमेरिका सहयोग से दोनों देशों और दुनिया को फायदा होगा।
अमेरिका के एंकोरेज से स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख तक, इस वर्ष चीन और अमेरिका के वरिष्ठ नेता दो बार आमने-सामने मिल चुके हैं, जो संवाद और सहयोग की इच्छा को दर्शाता है, जिसकी दुनिया को उम्मीद है। संघर्ष और टकराव से बचने, पारस्परिक लाभ और उभय जीत को तलाशने के लिए चीन और अमेरिका को न केवल नियमित संवाद और संपर्क करना चाहिए, बल्कि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों द्वारा फोन बातचीत में संपन्न आम सहमतियों का शीघ्र ही कार्यान्वयन करना चाहिए। खास कर अमेरिका को दुनिया के सामने अपनी वास्तविक कार्रवाई दिखानी चाहिए।
( साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग )
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Source : IANS