New Parliament Building: देश में नई संसद के उद्घाटन को लेकर शुरू हुआ सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. राजनीतिक नोकझोंक और बहसबाजी से निकलकर यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट लोक सभा सचिवालय और भारत सरकार को निर्देश दे कि नई संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाए. सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि भारत सरकार ने नई संसद के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल न करके भारतीय संविधान की अनदेखी की है.
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भारत सरकार का यह कदम संविधान का अपमान
याचिका में आगे कहा गया कि भारत सरकार का यह कदम संविधान का अपमान है. कहा गया कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है. संसद लोकसभा-राज्यसभा और राष्ट्रपति तीन अंगों से मिलकर बना है. इसके साथ ही राष्ट्रपति के पास ही सदन को बुलाने और सत्र के समापन के अधिकार हैं. संसद को भंग करने का अधिकार भी राष्ट्रपति के पास ही है. याचिकाकर्ता ने कहा कि संसद का अभिन्न अंग होने के बावजूद राष्ट्रपति को न्यू पार्लियामेंट के उद्घाटन समारोह से अलग रखा गया है. क्या सरकार का यह फैसला सही है.
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इन दलों ने किया बहिष्कार-
- कांग्रेस
- डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम)
- AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट)
- समाजवादी पार्टी
- भाकपा
- झामुमो
- केरल कांग्रेस (मणि)
- विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची
- रालोद
- टीएमसी
- जदयू
- एनसीपी
- सीपीआई (एम)
- आरजेडी
- इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
- नेशनल कॉन्फ्रेंस
- रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी
- मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके)
आपको बता दें कि देश की नई संसद के उद्घाटन को लेकर राजनीतिक दलों में रार शुरू हो गई है. संसद की नई बिल्डिंग का उद्घाटन 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. जबकि विपक्षी दलों की मांग है कि नई संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए. जिसको लेकर देश के 19 राजनीतिक दलों ने उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है.
Source : News Nation Bureau