New Parliament: नई संसद के लिए क्यों चुनी गई त्रिकोणाकार आकृति? आर्किटेक्ट ने बताई बड़ी वजह

New Parliament : अगर पुराने संसद भवन ने आजादी के बाद भारत को एक नई दिशा दी थी तो नई इमारत आत्मनिर्भर भारत निर्माण की गवाह बनेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बाद नई पार्लियामेंट के उद्घाटन से पहले कही थी

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Mohit Sharma
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New Parliament Building( Photo Credit : News Nation)

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New Parliament Building : अगर पुराने संसद भवन ने आजादी के बाद भारत को एक नई दिशा दी थी तो नई इमारत आत्मनिर्भर भारत निर्माण की गवाह बनेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बाद नई पार्लियामेंट के उद्घाटन से पहले कही थी. भारत की आधुनिक लेकिन पारंपरिक नई पार्लियामेंट का उद्घाटन आज यानी 28 मई को किया गया. नए संसद भवन के उद्घाटन ने भारतीय राजनीति और मार्बल वास्तुकला के नए अध्याय की शुरुआत कर दी. भारत के नए संसद भवन के निर्माण की शुरुआत 2022 में हुई थी. इसका डिजाइन अहमदाबाद बेस्ड एचसीपी डिजाइन नाम की कंपनी के द्वारा किया गया, जो आर्किटेक्ट बिमल पटेल की देखरेख में पूरा किया गया. 

कौन हैं आर्किटेक्ट बिमल पटेल?

नए संसद भवन के निर्माण के साथ ही बिमल पटेल ऐसे शख्स बन गए, जिनको लोकतंत्र के नए मंदिर का डिजाइन तैयार करने के श्रेय जाता है. पटेल अपनी इस नई रचना को राइजिंग इंडिया की प्रतिकृति कहते हैं. देश का नया संसद भवन भारत के विभिन्न तत्वों को शामिल तो करता ही है, साथ ही राइजिंग इंडिया की झलक भी दिखलाता है. त्रिकोणाकार आकृति में बनी देश की नई संसद पुराने संसद भवन के बिल्कुल सामने मौजूद है. बिमल पटेल के अनुसार नए संसद भवन के निर्माण के लिए त्रिकोणीय आकृति को इसके अनूठे ज्यामितीय कारणों से चुना गया. उन्होंने बताया कि बहुत सारी पवित्र ज्यामिति में त्रिकोणाकार आकृति और त्रिमूर्ति की विशेष मान्यता है. जैसे श्री यंत्र भी त्रिकोणाकार आकृति में हैं. तीन भगवान या त्रिमूर्ति सब कुछ तीन या त्रिकोणाकार है. इसलिए त्रिकोणाकार आकृति पवित्र और पूण्य है. 

नए संसदभवन में क्या है खास?

संसद के भीतर दोनों सदन ( लोकसभा और राज्यसभा ) होंगे. लोकसभा उत्तरी-पश्चिमी दिशा में और राज्यसभा दक्षिण-पस्चिमी दिशा में होगा. इसके साथ ही पूर्वी कोने में सांसदों के लिए एक लॉंज बनाया गया है. लोकसभा और राज्यसभा में वर्तमान और भविष्य के हिसाब से सासंदों की संख्या को देखते हुए सीटिंग क्षमता का पूरा ध्यान रखा गया है. लोकसभा में 700 से ज्यादा सदस्य बैठ सकेंगे, जबकि राज्यसभा में 500 से ज्यादा सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है. चूंकि पुरानी बिल्डिंग के विपरीत तरह नये संसदभवन में लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र के लिए अलग से सेंट्रल हॉल की व्यवस्था नहीं की गई है. नई इमारत में एक कोर्टयार्ड बनाया गया है, जो सेंट्रल हॉल की तरह काम करेगा. इसके साथ ही यहां एक सेंट्रल स्पेस का भी अरेंजमेंट किया गया है, जिसको कॉन्स्टीट्यूशनल गैलरी की नाम दिया गया है. यहां संसद सदस्य अपने साथियों के साथ आराम से घूमफिर सकेंगे और बातचीत कर सकेंगे. 

Source : News Nation Bureau

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