लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक बिल पेश किया गया है. यह बिल पिछली लोकसभा से पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में सरकार यह बिल पारित कराने में विफल रही थी. इसके बाद सरकार अध्यादेश भी लेकर आई है. बिल पर चर्चा होने से पहले बीजेपी ने अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया है, ताकि सभी सांसद बिल पर चर्चा के दौरान सदन में मौजूद रहें. सरकार की ओर से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में संशोधित तीन तलाक बिल को पेश किया है.
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संशोधित ट्रिपल तलाक बिल से जुड़ीं 5 अहम बातें
- अगर ट्रिपल तलाक को मंजूरी मिल जाती है तो कानून गैरजमानती बना रहेगा. लेकिन, आरोपी जमानत मांगने के लिए सुनवाई से पहले भी मजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकते हैं. गैरजमानती कानून के तहत जमानत थाने में ही नहीं दी जा सकती है.
- यह प्रावधान इसलिए जोड़ा गया है, ताकि मजिस्ट्रेट पत्नी को सुनने के बाद जमानत दे सकें. सरकार ने साफ किया है कि प्रस्तावित कानून में तीन तलाक का अपराध गैरजमानती बना रहेगा.
- मजिस्ट्रेट तय करेंगे कि जमानत सिर्फ तब ही दी जाए जब पति विधेयक के अनुसार पत्नी को मुआवजा देने पर राजी हो. विधेयक के मुताबिक, मुआवजे की राशि मजिस्ट्रेट द्वारा तय की जाएगी.
- पुलिस केवल तब प्राथमिकी दर्ज करेगी जब पीड़ित पत्नी, उसके किसी करीबी संबंधी या शादी के बाद उसके रिश्तेदार बने किसी व्यक्ति की ओर से पुलिस से गुहार लगाई जाती है.
- विधेयक के अनुसार, मुआवजे की राशि मजिस्ट्रेट तय करेंगे. एक अन्य संशोधन यह साफ करता है कि पुलिस तब प्राथमिकी दर्ज करेगी जब पीड़ित पत्नी, उसके किसी करीबी संबंधी या शादी के बाद उसके रिश्तेदार बने किसी व्यक्ति द्वारा पुलिस से गुहार लगाई जाती है.