सुकमा में सोमवार को हुए हमले में 25 जवानों की मौत हो गई। इस हमले के सीआरपीएफ के प्रभारी डीजी सुदीप लखटकिया ने बुधवार को कहा कि नक्सलियों से निपटने की रणनीति बदली जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि हम अपनी ही गलतियों से सीख ले रहे हैं।
लखटकिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'बस्तर में रणनीति बदली जा रही है और गलतियों की गंभीरता से समीक्षा की जा रही है। नक्सलियों ने ग्रामीणों को ढाल बनाकर हमारे जवानों पर फायरिंग की। इसके कारण हमें भारी नुकसान उठाना पड़ा।'
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'हमारे जवानों का हौसला बिल्कुल भी नहीं टूटा है, बल्कि उनके मन में उबल रहा आक्रोश इस बात की गवाही दे रहा है। हमारे जवान किसी भी तरह के मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार हैं।'
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छत्तीसगढ़ के डीजीपी एएन उपाध्याय ने कहा कि नक्सली बस्तर का विकास नहीं चाहते। इसी लिए वे ऐसी हरकतें बार-बार कर रहे हैं। घायल जवानों ने वहां की स्थानीय पुलिस पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया था। इस सवाल के जवाब में उपाध्याय ने कहा, 'हम तालमेल के साथ काम करेंगे।'
ऐसे में सवाल तो यही उठता है, कि आखिर अब तक ये तालमेल क्यों नहीं किया गया? हर बार ही खुफिया पुलिस की नाकामी क्यों सामने आती है? क्या राज्य की खुफिया पुलिस के पास सूचनाओं का अभाव है? अगर खुफिया पुलिस ने पहले ही नक्सलियों के जमावड़े की सूचना सीआरपीएफ को दे दी होती तो संभवत: इस लड़ाई का अंजाम कुछ और होता।
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छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने रामकृष्ण केयर अस्पताल जाकर घायल जवानों से मुलाकात की। सिंहदेव ने कहा कि एक जवान सोया हुआ था लिहाजा उनको नहीं जगाया।
बाकी एक बिहार और दूसरे हिमाचल प्रदेश के जवान से मुलाकात कर वहां के हालात की जानकारी ली। इसके साथ ही जवानों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। नेता प्रतिपक्ष ने जवानों को उपलब्ध कराई जा रही चिकित्सा व्यवस्था पर संतोष जताया। उन्होंने नक्सलियों के इस कायराना हमले की निंदा की।
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Source : IANS