राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को जम्मू एवं कश्मीर के बडगाम से एक आरोपी को गिरफ्तार किया, जिसने निलंबित उप पुलिस अधीक्षक दविंदर सिंह और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी नावेद बाबू के मामले में गिरफ्तार आरोपियों में से एक को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करने में अहम भूमिका निभाई थी. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. जांच से जुड़े एनआईए के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "एजेंसी ने हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर नवीद बाबू के मामले में तफजुल हुसैन परिमू को गिरफ्तार किया है."
अधिकारी ने कहा कि हुसैन ने शोपियां में मलदेरा के पूर्व सरपंच तारिक मीर को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करने में अहम भूमिका निभाई, जिसने बाद में शोपियां में हिजबुल के आतंकवादियों को इनकी आपूर्ति की थी. इस मामले में जम्मू-कश्मीर के कई स्थानों पर एनआईए द्वारा तलाशी ली जा रही थी और इसके लगभग 18 दिन बाद यह गिरफ्तारी हुई है. मीर को एनआईए ने इस साल 29 अप्रैल को हिजबुल आतंकवादियों को हथियारों की तस्करी और आपूर्ति में उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था.
निलंबित पुलिस अधिकारी दविंदर सिंह जम्मू संभाग के हीरानगर में कठुआ जेल में बंद है. उसे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11 जनवरी को दो हिजबुल आतंकवादियों नावेद बाबू और रफी अहमद राथर के साथ ही एक लॉ स्कूल के छात्र रहे इरफान शफी मीर को जम्मू ले जाते समय पुलिस ने गिरफ्तार किया था. सिंह की गिरफ्तारी के बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा मामले को एनआईए को सौंपे जाने से पहले प्रारंभिक जांच की गई थी. पुलिस ने कहा था कि दोनों आतंकवादियों और वकील ने पाकिस्तान की यात्रा करने की योजना बनाई थी.
एनआईए ने पहले दावा किया था कि इसकी जांच से पता चला है कि आरोपी हिजबुल और पाकिस्तान द्वारा हिंसक कार्रवाई करने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए रची गई एक गहरी साजिश का हिस्सा थे. एनआईए ने पिछले महीने एक बयान में कहा था, "इस मामले में की गई जांच में पता चला है कि हिजबुल का पाकिस्तान स्थित नेतृत्व जिसमें सैयद सलाहुद्दीन, अमीर खान, खुर्शीद आलम, नजर महमूद समेत कई और लोग पाकिस्तान के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठन के कैडर और कमांडरों को समर्थन दे रहे हैं."
एनआईए ने यह भी दावा किया था कि नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के कुछ अधिकारी मीर उर्फ एडवोकेट के साथ लगातार संपर्क में थे, जिसे राष्ट्र-विरोधी कार्यों के लिए धन मुहैया कराया गया था. बता दें कि जम्मू-कश्मीर में तैनात रहे निलंबित डीएसपी को 19 जून को दिल्ली की एक अदालत ने एक आतंकी मामले में जमानत दे दी थी, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर करने में असमर्थता जताई थी. लेकिन एनआईए के मामले के चलते वह अब भी जेल में हैं.
Source : IANS