राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि वह 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में अभियोजन पक्ष के उन गवाहों के साक्ष्यों की एक सप्ताह तक जांच नहीं करेगा जिनके नाम और बयानों के साथ कांट छांट की गयी है. एनआईए ने न्यायमूर्ति आई ए महंती और न्यायमूर्ति ए एम बदर की खंडपीठ के सामने यह बयान दिया. यह पीठ इस मामले के एक आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के आवेदन पर सुनवाई कर रही थी जिसमें गवाहों के बयानों में बगैर किसी बदलाव वाले आरोप पत्र की प्रतियां दिलाने का अनुरोध किया गया है.
पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवडे ने कहा कि विशेष एनआईए अदालत फिलहाल अभियोजन पक्ष के गवाहों के साक्ष्य दर्ज कर रहा है और उन गवाहों से पूछताछ संभव नहीं है जिनके बयानों या नामों के साथ कांट छांट की गयी है.
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एनआईए के वकील संदेश पाटिल ने कहा कि 22 जुलाई को वह अभियोजन के उन गवाहों के नाम देंगे जिनसे वे पूछताछ करना चाहते हैं और जिनके बयानों में कांट छांट की गयी है.
एजेंसी ने कहा कि तब तक वह साक्ष्य दर्ज करने के लिए निचली अदालत के सामने गवाही के लिए इन गवाहों में से किसी को नहीं बुलाएगा.
पुरोहित ने अपनी याचिका में दावा किया कि जब इस मामले की शुरुआत में जांच करने वाला राज्य आतंकवाद रोधी दस्ते ने अपना आरोपपत्र दायर किया था, कई दस्तावेज और गवाहों के बयान संक्षिप्त किये गए हैं.