phulwari sharif case : फुलवारी शरीफ मामले (phulwari sharif case) की जांच अब केंद्रीय जांच एजेंसी (NIA) करेगी. इस संबंध में गृह मंत्रालय ने नोटिस जारी कर दिया है. फुलवारी शरीफ मामले में अब PFI संस्था की ओर से संदिग्ध गतिविधियों और पाकिस्तान (Pakistan) समेत कई अन्य देशों से जुड़े कनेक्शन के आरोपों की विस्तार से NIA जांच करेगी. हालांकि, इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही है.
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आपको बता दें कि पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बिहार के फुलवारी शरीफ मामले में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम का मामला दर्ज किया था, जहां पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्यों को अत्यधिक आपत्तिजनक सामग्री के साथ पाया गया था, जो भारत को 2047 तक एक इस्लामिक राज्य बनाने का संकेत देता है. इस मामले में बिहार पुलिस ने पाया था कि पीएफआई सदस्यों के प्रतिबंधित संगठन सिमी से संबंध थे. बिहार पुलिस ने इस सिलसिले में अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार किया है और इस मामले में करीब 26 संदिग्धों की पहचान की है.
पुलिस जांच ने संकेत दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके रडार पर थे. पटना पुलिस ने अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन को फुलवारी शरीफ इलाके से गिरफ्तार किया था. उनके कहने पर मार्गूब दानिश, अरमान मलील और शब्बीर के रूप में पहचाने गए तीन और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. वे कथित तौर पर एक आतंकी मॉड्यूल चला रहे थे और मुस्लिम युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहे थे.
परवेज सिमी का सदस्य बताया जाता है और युवाओं को ट्रेनिंग देता था. परवेज के भाई मंजर आलम को पटना के गांधी मैदान बम विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था जो 2013 में मोदी की हुंकार रैली के दौरान हुआ था. आलम बोधगया विस्फोट में भी शामिल था. वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है.
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मोहम्मद जलालुद्दीन भी सिमी का सदस्य बताया जाता है. पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने रैली के दौरान आतंकी हमले को अंजाम देने की कोशिश की थी. पुलिस ने जलालुद्दीन और परवेज के पास से ऐसे दस्तावेज बरामद किए हैं जिनमें लिखा है कि वे 2047 तक भारत को इस्लामिक राज्य बना देंगे. युवकों को फिजिकल ट्रेनिंग दिलाने के बहाने पटना में उनका ब्रेनवॉश कर रहे थे. वे कथित तौर पर मुस्लिम युवकों को हिंदुओं के खिलाफ भड़का रहे थे. इस बीच, पीएफआई ने कहा है कि उसने कभी कोई आपत्तिजनक दस्तावेज प्रकाशित नहीं किया है.