Hizb-ut-Tahrir Case: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार सुबह हिज्ब-उत-तहरीर मामले में तमिलनाडु में 10 स्थानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की. इस दौरान एनआईए की टीम में राज्य के इरोड जिले के दो स्थान पर भी छापा मारा. बताया जा रहा है कि ये छापेमारी अभी भी जारी है. बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मदुरै के साल 2021 के मामले में हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की. इस दौरान टीम ने एक शख्स को गिरफ्तार भी किया. बता दें कि ये छापेमारी मुख्य रूप से दो संदिग्धों पर केंद्रित थी. इसमें अब्दुल खान और अहमद का नाम शामिल है. अब्दुल खान ने पुदुक्कोताई में मंडैयुर के पास एक खेत पट्टे पर लिया था. अहमद तंजावुर में कुलंधई अम्माल नगर का रहने वाला था.
ये भी पढ़ें: Mann Ki Baat: पीएम मोदी का मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' आज फिर से होगा शुरू
मई में छह लोगों को किया गया था गिरफ्तार
बता दें कि एनआईए ने ये छापेमारी अंतरराष्ट्रीय इस्लामी संगठन हुत के छह सदस्यों की मई में हुई गिरफ्तारी के बाद की है. इन लोगों को चुनाव और लोकतंत्र के खिलाफ दुष्प्रचार जैसी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार किए गए लोगों में 50 वर्षीय एक शख्स के साथ उसके दो बेटे और तीन अन्य लोग भी शामिल थे. इनकी उम्र 26 से 33 साल के बीच बताई गई थी.
#WATCH | National Investigation Agency (NIA) is conducting searches at 10 locations across Tamil Nadu in Hizb-ut-Tahrir case.
(Visuals from Tamil Nadu's Erode) pic.twitter.com/xMVO1Xnuam
— ANI (@ANI) June 30, 2024
इन सभी पर जांच एजेंसी ने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधान लगाए थे. लोकतंत्र के खिलाफ हिज्ब-उत-तहरीर के सदस्यों का एक तर्क यह था कि लोकतंत्र और कानून का शासन मानव निर्मित है. उनका कहना था कि इसलिए इसे बदला जा सकता है और ये परिपूर्ण नहीं है, जबकि उनका कहना था कि ईश्वरीय कानून ऐसी श्रेणी में नहीं आता है और यह सर्वोच्च है.
ये भी पढ़ें: PM मोदी ने टीम इंडिया से की फोन पर बात, रोहित शर्मा, विराट कोहली समेत सभी खिलाड़ियों की जमकर की तारीफ
45 देशों में हिज्ब उत-तहरीर की शाखाएं
बता दें कि हिज्ब उत-तहरीर की स्थापना 17 नवंबर 1952 को फिलिस्तीन के पूर्वी यरुशलम में की गई थी. इसका स्थापना का श्रेय तकी अल-दीन अल-नभानी को जाता है. हिज्ब उत-तहरीर की विचारधारा समाजवाद और पूंजीवाद को मध्य पूर्व में बाहरी थोपे जाने के रूप में देखने को मिलती है. इसने मुस्लिम बहुल भूमि में वैश्विक मुस्लिम आबादी (उम्माह) को पुनर्जीवित खिलाफत के तहत एकजुट करने की कोशिश की. पार्टी ने अपनी स्थापना के बाद से दुनिया के दूसरे देशों में विस्तार किया. इसके बाद ये अब तक दुनियाभर के 45 देशों में पहुंच गई. इसकी पहली यूरोपीय शाखा 1960 के दशक में पश्चिम जर्मनी में स्थापित की गई थी.
Source : News Nation Bureau