पीएनबी घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बड़ा बयान दिया है।
मंगलवार को वित्त मंत्री जेटली ने कहा, 'नीरव मोदी को पहली बार फर्जी तरीके से लोन की गांरटी साल 2011 में मुंबई के ब्रैडी हाउस शाखा से मिली थी और इसके बाद इसी तरह की 1212 गारंटी अगले 74 महीनों तक लगातार दी गई।
राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में जेटली ने कहा, 'नीरव मोदी से जुड़ी कंपनियों को एक दिन में पांच से ज्यादा एलओयू (लेटर ऑफ अंडरटेकिंग) दी गई जिसका इस्तेमाल विदेशों में भारतीय बैंकों के शाखा से लोन लेने में किया गया। देश के दूसरे सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक यह सब कर्मचारियों की मिली भगत के जरिये किया गया।
राज्यसभा में अपने जवाब के दौरान वित्त मंत्री ने कहा, 'नीरव मोदी की कंपनी को अंतिम फर्जी एलओयू 23 मई 2017 को जारी किया गया था। लेकिन इन 6 सालों के दौरान आरोपी मोदी की कंपनी को 53 वाजिब एलओयू भी दिए गए। हीरा कारोबारी नीरव मोदी की कंपनी को पहली बार एलओयू 5 मार्च 2011 और आखिरी बार 6 नवंबर 2017 को जारी किया गया था।'
जो फर्जी एलओयू नीरव मोदी की कंपनी को जारी किए गए थे उनकी वैद्यता करीब 1 साल की थी। इस साल जनवरी की बकाया राशि पिछले साल जनवरी में जारी किए गए एलओयू के खिलाफ थी।
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गौरतलब है कि नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी से जुड़ी कंपनियों पर करीब 13600 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का आरोप है। इस घोटाले में मेहलु चोकसी की कंपनी गीतांजलि ग्रुप पर 7 हजार 80 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े का आरोप है।
घोटाले की जानकारी को लेकर जेटली ने राज्यसभा में कहा कि मामला तब सामने आया जब पंजाब नेशनल बैंक के सर्किल ऑफिस में बकाये से जुड़ी एक अनाधिकृत रिपोर्ट आई।
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Source : News Nation Bureau